सुख

Where happiness

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Dr Rekha jain
Dr Rekha jain 18 May, 2022 | 1 min read

#काव्योदय

सुख

                 

 "गीतिका"

जग मैं ढूंढा मैनें बार-बार

सुख ना मिला किसी प्रकार।(1)

है काल समीप कर प्रभु ध्यान

इस पर करना कुछ तो विचार।(2)

हो जा सचेत मोह को त्याग

अब लक्ष्य साध ये मोह प्यार।(3)

मानुष जन्म महा है दुर्लभ

यह तन मिला कुदरत उपहार।(4)

फैला चहुंओर मायाजाल।

देखो प्रभु की महिमा अपार।(5)

जीवन सुखमय बीतेगा जब

सदूगुणों की होगी भरमार।(6)

मैं करूं सतत पूजा विधान

पूर्ण करो प्रभु तुम हो उदार।(7)

"रेखा"जग है नश्वर समान

तुझको दिखता क्या कहीं सार।(8)

डॉ रेखा जैन शिकोहाबाद

स्वरचित व मौलिक रचना

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