प्रतियोगिता हेतु
"रियलिटी शो की सच्चाई"
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टीवी और रियलिटी शो आजकल एक-दूसरे के पर्याय बन गए हैं। ऐसा कोई भी टीवी चैनल नहीं है जिसमें कोई न कोई रियलिटी शो न आ रहा हो। मुद्दा यह है कि रियलिटी शोज़ के नाम पर सच दिखाने वाले इन कार्यक्रमों में असल में कितना सच और कितना झूठ शामिल रहता है यह किसी को भी पता नहीं।
मेरे विचारानुसार अधिकांश लोग भी रियलिटी शो इसलिए देखते हैं कि इनमें उन्हें सामान्य, एकरसता वाले सीरियल्स से हटकर कुछ देखने को मिल जाता है। ऐसा नहीं है कि रियालिटी शो अच्छे या सच्चे नहीं हो सकते लेकिन अगर ऐसा हुआ तो इनमें से व्यावसायिकता को हटाना पड़ेगा, जो संभव नहीं है। हालाँकि मेरा यह भी मानना है कि कुछ रियलिटी शो प्रतिभाओं को मंच भी उपलब्ध करवाते हैं लेकिन फिर वही व्यावसायिकता आड़े आ जाती है और असल उद्देश्य कहीं खो जाता है।'
मेरी समझ से तो अगर कोई शो, जो आपको इतना बड़ा मंच देता है- जहां आप अपनी प्रतिभा को पूरी दुनिया के सामने रख पाते हैं, तो उस मंच तक पहुंचना आसान तो नहीं होगा. हम इसे इस तरह क्यों नहीं लेते कि दुनिया की कोई भी परीक्षा बिना पसीना बहाए तो पास नहीं की जा सकती. ये शोज़ परीक्षा जैसा ही है, जिसमें भाग तो बहुत लोग लेते हैं लेकिन सलेक्ट केवल कुछ ही होते हैं. इंडियन आयडल का ऑडिशन भी लाखों लोगों ने दिया होगा. जो कुछ आप ने देखा या सहा, उसे सहने वाले आप जैसे लाखों रहे होंगे. लेकिन इस परीक्षा में सलेक्ट न होने के लिए कोई उसके मुश्किल पैटर्न को दोष नहीं देता और न ही उसे संचालित करने वालों को भला बुरा कहता है.
घंटों लाइन में खड़ी तो मैं भी हुई. कुछ में सलेक्ट हुई कुछ में नहीं. लेकिन सलेक्ट न होने पर मैंने कभी उस मंच के बारे में गलत नहीं कहा. क्योंकि वो मेरे लिए एक मौका था. वो संगीत को वो मंच था, जिसका सपना मेरी आंखों ने भी देखा था. पर आश्चर्य होता है कि जिस प्रतियोगिता में सलेक्ट होने का सपना जो खुद हमने देखा था अगर वो सपना सच ना हो तो बुरा तो लगता ही है । क्योंकि उनके मन में भी अन्य बच्चों की तरह रियलिटी शो में भाग लेने की अतृप्त चाह मन में रहती है बच्चे जैसा बनाने पर तुल जाते हैं। इसी तरह इन कार्यक्रमों में किए जाने वाले एसएमएस की सच्चाई भी कुछ अलग बयां करती है जो अविश्वसनीय तथा कल्पनात्मक लगती है। जरूरी है कि लोग अब इनकी असलियत समझ जाएँ।
सवाल यह उठता है कि क्या वाकई दर्शक इतने बुद्धिहीन हैं कि वे रियलिटी शो के सच और झूठ को समझ नहीं पाते? ऐसा नहीं है सब जानते हैं पर मानते नहीं।जो सलेक्ट हो जाते हैं वो वाह वाह करते हैऔर जो सलेक्ट नहीं होते वो बाहर जाकर बुराई करते हैं। आसानी से मिल गया तो अंगूर मीठा नहीं मिला तो खट्टा।
जैसा भी हो, लेकिन ये एहसास ही अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि होती है कि आपके पास रियलिटी शोज में जजीस की फैमिली है. ये वो लोग हैं जो हमें बिना किसी स्वार्थ के प्यार करते हैं. इनके प्यार में कोई दिखावा, कोई फरेब नहीं है. इनके लिए न तो हमारी हार-जीत या पैसे मायने रखते हैं और न ही हमारी शक्ल या क़ामयाबी, ये स़िर्फ हमें प्यार करते हैं. परिवार में रहकर ही हम एक-दूसरे से प्यार करना, बड़ों का सम्मान करना सीखते हैं. जो लोग अपने परिवार के साथ रहते हैं वे ख़ुद को सुरक्षित महसूस करते हैं, और हम इनकी छांव तले रहकर पलते बढ़ते हैं।
निष्कर्षत कहा जा सकता है कि हर चीज के दो पहलू होते हैं एक अच्छा और दूसरा बुरा।
रियलिटी शो के माध्यम से जिनको कामयाबी मिलती है उनके लिए तो यह शोज ईश्वर की नेमत है और जिनको कामयाबी नहीं मिलती वहीं लोग बाहर जाकर बुराई करते हैं।
डॉ रेखा जैन शिकोहाबाद
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