मां वो होती है जो बिना बताएं अपने बच्चे के मन की बात समझ लेती है। अपने बच्चों का चेहरा पढ़ ने में माहिर होती है और हो भी क्यों नहीं उसी का तो अंश है हम सब। अपनी मां से बस यही कहना चाहती हूं कि मुझे दुनिया में लायी तेरा क़र्ज़ में कभी भी नहीं उतार सकती
करुणा ममता की प्रतिमूर्ति।
अभावों की करती क्षतिपूर्ति।
कोई और नही वह मां ही है
त्याग तपस्या की जीवांत मूर्ति।
डॉ रेखा जैन शिकोहाबाद
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Nice one
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