Paper
wiff
About
Support
Login
Get started
Facebook
Google
Email address
Password
Remember
Forgot your password?
Sign in
Or
create a new account
Dr Rekha jain
drrekhajain
Share profile on
1
following
3
followers
Follow
Stories
Microfables
46
जड़े
जड़े जिनकी जड़ें जितनी गहरी है वो उतना ही बड़ा तूफान झेलने में सक्षम है।हवा के रुख को पहचान आज भी खड़े हैं
Paperwiff
by drrekhajain
#microfables
21 May, 2022
प्रेम
प्रेम एक बच्चेका निश्छल प्रेम किसी बहुमूल्य सोने चांदी से भी ज्यादा होता हैप्रेम का कोई मूल्य नहीं होता।
Paperwiff
by drrekhajain
#microfables
20 May, 2022
प्रतियोगिता हेतु अस्तित्व
मैं कौन हूं कहां से आई कहा है जाना क्या काम करना नहीं जानती ढूंढती रही इस जग में फिजूल घूमी मेरा अस्तित्व मेरे भीतर मिला
Paperwiff
by drrekhajain
#microfables
17 May, 2022
उधड़े रिश्ते
रिश्ते उड़े हुए रिश्तों की अब तो ना हो थी तुरपाई फटे हुए मनों की ना होती सिलाई। ऐसे रिश्तों की कैसे करें भरपाई।
Paperwiff
by drrekhajain
#microfables
23 May, 2022
बचाने कौन
बढ़ा है पाप धरती पर मिटाने कौन आयेगा चढ़ा है ताप गर्मी का घटाने कौन आयेगा। उमड़ते भाप से जग में धरा भी डोल जाती है बिगाड़ा नाप वसुधा का बताने कौन आयेगा। डॉ रेखा जैन शिकोहाबाद
Paperwiff
by drrekhajain
#microfabules
11 May, 2022
नारी
वक्त बदला और वक्त का अहसास भी। जागी है हिम्मत और जागा विश्वास भी। अबला से सबला बन चुकी हूँ आज मै- जाग चुकी हूँ मैं और बनूगी खास भी।
Paperwiff
by drrekhajain
#microfables
11 May, 2022
अपेक्षा
दूसरों से अपेक्षा रखने से अच्छा है अपना कार्य स्वयं करना चाहिए।
Paperwiff
by drrekhajain
#microfables
11 May, 2022
मननशील विचार
एक मनननीय विचार ******************** मैं ईश्वर से ये पूछना चाहती हूं कि तुमने सृष्टि की रचना एक समान की तो फिर इंसान अलग विचार धारा के क्यों होते हैं आज मानव ही मानव के बस रहा है।मानव ही मानव का दुश्मन बन रहा है कव जागेगा मानव:- अब तो जागो मानव अंधे करते रहते क्यों काले धंधे अंत समय में नहीं मिलेंगे तुमको चार भी कंधे। डॉ रेखा जैन शिकोहाबाद एक
Paperwiff
by drrekhajain
#microfables
12 May, 2022
अपेक्षा
प्रतियोगिता हेतु वर्तमान समय में किसी से अपेक्षा न रख। कलयुग में अपने बाजुबल पर भरोसा रख। मंजिल भी मिलेंगी तुमको एक दिन- बदलते परिवेश में मानवता को जिंदा रख।
Paperwiff
by drrekhajain
#microfables
12 May, 2022
जिंदगी
इश्क की आग थी वह मचलती रही। जिंदगी रेत मानिंद फिसलती रही। हादसों ने बहुत तमतमाया मुझे - जिंदगी मोम सी फिर पिघलती रही।
Paperwiff
by drrekhajain
#microfables
13 May, 2022
« Previous
Next »
Showing
1
to
10
of
46
results
1
2
3
4
5
2020 - Paperwiff India | Made with ❤️