तुम्हारा हक नहीं

सेल्फ रिस्पेक्ट खोकर किसी भी रिश्ते को निभाना ये जिंदा लाश जैसा होता है।

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Divya modh
Divya modh 03 Jul, 2020 | 1 min read

प्यार हो तुम मेरे तो दस लोगों के बीच हाथ पकड़ना

तुम्हारा हक है

 मगर उन्ही दस लोगों के सामने मुझ पर हाथ उठाना तुम्हारा हक नहीं

अपने काम की वजह से मुझे समय न दे पाना तुम्हारा हक है,

पर मेरी दी हुई आजादी को ग्रांटेड लेना तुम्हारा हक नहीं।

अपनी पसंद के कपड़ोमे मुझे देखना तुम्हारा हक है

पर मुझे खुद की पसंद पहनने से रोकना तुम्हारा हक नहीं।

Written by divya modh




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Divya modh

divyamodh

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  • Kumar Sandeep · 4 years ago last edited 4 years ago

    वाह

  • VRINDA S. CHAUHAN · 4 years ago last edited 4 years ago

    Really nice.

  • Divya modh · 4 years ago last edited 4 years ago

    Thank you so much kumar sandeep

  • Divya modh · 4 years ago last edited 4 years ago

    Thank you vRiNDa S. CHAUHAN

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