खुश और आज़ाद

खुश और आज़ाद

Originally published in hi
Reactions 0
373
Divya Gosain
Divya Gosain 14 Jun, 2022 | 1 min read

कलम लिए इन हाथों में चंद लफ़्ज़ों को पिरो रही हूं,

देखो ना, बेख़ौफ़ मैं आज खुश और आज़ाद भी हूं,


थी सहमी और सिमटी सी कल तक गर्भ में यूंही,

आज खुले आसमां में वजूद अपना तराश रहीं हूं,


ना‌ है बैर किसी से और ना है शिकवा कोई,

बस मुस्कुराहटों के ये छोटे-छोटे सितारे इस संदूक में बटोर रही हूं,


रूकावटों से भरी है राह इस जीवन की,

पर रूक कर भी तो राह ये पार कभी होगी नहीं,


लेने होंगे खुद ही अहम फैसले भी ज़रूर,

रहे निर्मलता जीवन में और ना आए मन में कभी गुरूर।


दिव्या G.

💞

0 likes

Published By

Divya Gosain

divyagosain

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.