बचपन की यादें

बचपन की यादें

Originally published in hi
Reactions 0
749
Divya Gosain
Divya Gosain 28 Jul, 2022 | 1 min read

"बचपन की यादें"


बचपन का वो एक ज़माना था, 

जहाॅं खुशियों का ढ़ेर ख़ज़ाना था, 


पतंग के संग आसमान की सैर करना और कागज़ की नाव पर बहुत दूर जाना था,


माॅं की डांट पर कुछ देर बस यूँही रूठ जाना था,


नानी की कहानियों में परियों के देश भी हो आना था, 


बस्ता उठा स्कूल को भागना और घंटी बजने पर खुशी का ना कोई ठिकाना था,


जाने कब गुलेल से खेलते खेलते बीत गया वो ज़माना था,


चलो, अब गर हो मुमकिन तो खेलूॅं ज़िंदगी से ऑंख मिचौली मैं क्योंकि उस बचपन से फिर कुछ लम्हों को आज चुराना था।

0 likes

Published By

Divya Gosain

divyagosain

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.