पापा,
जिस जादू की छड़ी से खुशियां लाते थे,
आज ज़रा वक़्त को भी पलट दो ना,
नहीं कमाने उम्र के ये तजुर्बे,
अपनी गोद में आज फिर समेट लो ना,
पापा, यही लफ्ज़ था पहला मेरी ज़ुबां पर,
हर उफ्फ पर आज भी सबसे पहले आप ही याद आते हो,
याद है, उस शाम थक गए थे,
फिर भी मुझे गोद में उठाये मीलों चले थे,
पापा, थक गई हूं भागते भागते,
आज फिर से कांधे पर बिठा लो ना,
हर शाम का मेरा वो एक सवाल," पापा, क्या लाए हो मेरे लिए?"
आज फिर प्यार के खजाने दिला दो ना,
सालों हुए वो आंगन छोड़े,
आज नम आंखों को फिर सहला दो ना,
पापा,
जिस जादू की छड़ी से खुशियां लाते थे,
आज ज़रा वक़्त को भी पलट दो ना।
दिव्या G.
💞
Comments
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Beautiful
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