Divya Gosain
Divya Gosain 05 May, 2022
"मुराद"
है मुराद कि मैं तेरा मुरीद बन जाऊं, बंदिशें ज़माने कि छोड़ तेरा रकीब बन जाऊं, इल्म नहीं रिवाजों का मुझे, है रुह कि ख्वाहिश कि तेरा हबीब बन जाऊं। दिव्या G. 💞

Paperwiff

by divyagosain

05 May, 2022

#shayari

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.