Divya Gosain
08 Jun, 2022
प्यार सीमाएं नहीं जानता
है बेपनाह सा ये इश्क़ ऐसा,
इंसान को भी ख़ुदा का ही अक्स मानता,
इल्म नहीं दूरियों और नज़दीक़ीयों का जैसे,
डूबा है मुरीद अपने मुर्शिद के इश्क में कुछ ऐसे,
बंदगी में मशगूल है वो सुबह और शाम नहीं पहचानता,
फितूरी है प्यार उसका कि कोई सीमाएं नहीं जानता।
दिव्या G.
💞
Paperwiff
by divyagosain
08 Jun, 2022
Emotions
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.