चलो आज तुम्हे अपने प्रेम की कहानी सुनाती हूँ।
अब देखो , सबकी प्रेम कहानी एक जैसी तो नहीं होती न ,
आखिर सबकी पहली मोहब्बत मुक्कमल तो नहीं होती न।
तो मेरी ... नहीं ! नहीं ! हमारी प्रेम कहानी कुछ इस तरह से है ,
हम दोनों चाँद और तारों की तरह जुड़े से है।
अब ऐसा कभी हुआ है ?
के जिस दिन वो चाँद न निकले ,
एक भी तारा उस दिन उस आसमान में चमके।
नहीं .. है न ??
बस कुछ ऐसी ही उनसे प्रीत है ,
उनके होने से ही मेरे अस्तित्व की जीत है।
अब क्या बताऊ तुम्हे हमारा रिश्ता कैसा है,
प्रेम हमारा उस कलम और कोरे पनने के जैसा है।
जो हर पल अपने जज़्बात उससे ब्यां करता है ,
और वो कोरा पनना बिन कुछ कहे ,
उन सारे ज़ज्बातो को दिल में उतार लेता है ,
और उसे ही अपना वज़ूद बना लेता है।
वो कलम मै हूँ और कोरा पनना वो है ,
रेहमत है खुदा की मेरा जो भी है बस वो है।
बस कुछ ऐसी है मेरी .... हमारी प्रेम कहानी ,
सबसे अलग , कुछ अनकही सी , सबसे अनजानी।
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