Mohabbat

A poem for my love...

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Komal Mittal
Komal Mittal 20 Feb, 2020 | 1 min read

ये मोहब्बत की दास्तान भी अजीब है,
ना जाने क्यो वो शख्स दूर होकर भी इतने करीब है।

हाँ, वो शख्स और कोई नहीं तुम ही हो,
ताजुब है हमें क्यों इस सिरफिरे दिल की हर ख्वाहिश तुम ही हो?

ना सोचा था कभी इतने पास आओगे तुम,
एक अजनबी से इतने खास हो जाओगे तुम।

वो तुम्हारा पहला अहसास आज भी इन लबों पे है,
उस वसल की हया आज भी इन आँखों में है ।

तुम कहते हो,
"तुम्हें तो कोई बेहतरीन भी मिल जाएगा हमसे"
पर क्या करना है तुमसे बेहतरीन का,
जब सुकून-ए-जिन्दगी ही तुम हो इस दिल का।

तुमसे मोहब्बत की कोई खास वजह तो नहीं,
पर हाँ, आशिकी मेरी यूँ बेवजह भी नहीं ।

बस यूँ समझ लो इस दिल के इकलौते शहरयार तुम हो,
मेरी रूह का सबसे खूबसूरत असरार तुम हो ।

नहीं चाहते हम हमारी उम्र भी तुम्हें लग जाए,
भला क्यूँ तुम्हें यहाँ अकेला छोड़ हम यूँ जाए?


कुछ ऐसी है मोहब्बत हमारी तुमसे,
ना छीन सकता है कोई ये रियासत हमारी हमसे ।

क्यूँकि कोई चुरा कर तुम्हारे जिस्म को हमसे दूर ले भी जाएगा,
जो बीते है हमारे साथ,
वो रूहानी लम्हे उरहानी कुरबत के कहाँ से लाएगा ।

हमारी मोहब्बत तो तुम्हारी रूह में छिपी है,
उतरकर देखो जरा इस दिल में,
जिस्म से आँखों तक बस तुम्हारी ही छवि लगी है।

ना लफ्ज़ खत्म होंगे ना हमारी मोहब्बत,
यूँ ही ब्या करते रहे,
पर वक्त की ही तो कमी है ।

आज कहते हैं तुम्हें हो तुम इस आशिक का पहला और आखिरी फ़ितूर ,
जिन्दगी बदल भी जाए, याद रखना,
ये मोहब्बत हमारी रहेगी यूँ ही बा - दस्तूर ।

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