माँ शब्द की महिमा महान है,
माँ से ही तो जहान है,
नमन करता उसको हर भगवान,
क्या माँ बन जाना है इतना असान?
2 अक्षरो ने स्मेटा पूरा ये संसार,
एक माँ ही तो उस खुदा का अवतार,
ना टिक पाये आगे उसके कोई शेतान,
क्या माँ बन जाना है इतना असान?
जगत की सृजन करता वो,
सबकी कर्ता धर्ता वो,
उधारती वो ये पर जहान,
क्या माँ बन जाना है इतना असान?
अस्तित्व तेरा उसका है संघर्ष,
ना पा सकता कोई मुकाम बिना उसके परामर्श,
क्रोध के आगे उसके नत्मसक हर हैवान,
क्या माँ बन जाना है इतना असान?
नौ महीने पहले रखती कोक में,
फिर ता उम्र अपनी दिल की सन्दूक में,
अपने सृजन का वो रखती दिलो जान से ध्यान,
क्या माँ बन जाना है इतना असान?
भविश्य के लिये तेरे वो अग्नि में तपती,
खुश रहे तू, भाग्य से वो है लड़ती,
कलंक है वो जो करता उसका अपमान,
क्या माँ बन जाना है इतना असान?
तुझे चोट लगने पे अंदर से वो भी रोई ,
यूँ कठोर बनके तुझ्मे निडरता संजोयी,
इतना दिव्या होने का ना करा उसने कभी अभिमान
क्या माँ बन जाना है इतना असान?
सर्वश्रेष्ठ है संतान से माँ का रिश्ता,
पाने को उसे तरस्ता हर फरिश्ता,
कम ही है जितना भी दे उसको सम्मान,
अब भी लगता है?
माँ बन जाना है इतना असान?
Kya ma bn jana hai itna asan?
Mother's love is unconventional and immense. This poetry for my mother❤
Originally published in hi
Komal Mittal
11 May, 2020 | 0 mins read
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