घर घर जल जल हर घर नल नल
अब कितना पानी पानी चिल्लाएं
बंद करो अब जल व्यर्थ करना
धरती मां के सीने में छेद किए कितने सारे
न कोई लाज है न कोई शर्म
नल खुल्ला छोड़ चल दिए रईस जादे
अब कब तक कितना किसी के हक का पानी व्यर्थ करोगे ऐ ज्ञानी
जब खाली पड़े कुएं , तालाब को देख तू पछताएंगा
नल तो होगा पर जल कहां से लायेगा
दक्षल कुमार व्यास
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