बदलाव

बदलाव

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Dakshal Kumar Vyas
Dakshal Kumar Vyas 02 Mar, 2022 | 1 min read

उड़ता सा जा रहा हूं

इस बढ़ती दुनियां में

घूम ता सा जा रहा हूं

इस भटकती दुनियां में

नही मिल रही मंजिल

इस स्वार्थी दुनियां में

स्वाभिमान की लड़ाई में

दुनिया की ठोकरें खा रहा हू

अहिंसा के पथ पर

चोट खा रहा हू

हिंसा की राह पर

बदनामी की भेट मिल रहीं

खुद बदल कर दुनियां बदल ने चला

खो बैठा हु ईमानदारी ,स्वाभिमान , न्याय , धर्म

जी रहा हू भ्रष्टाचार, बेइमान ,अन्याय, अधर्म, की जिंदगी

में में।

:-| दक्षल कुमार व्यास

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Dakshal Kumar Vyas

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