ऐ बदलते भारत के बदलते युवा
कहाँ सड़को पर उड़ा रहे हो धुंआ
फटे छोटे कपड़े पहन कर
संस्कृति सभ्यता के चीथड़े उड़ा कर
ऐ युवा अब क्या ढकोगे देश की इज़्ज़त
शहर बदनाम अपराध से
गांव को गांव रहने न दिया
आधुनिकता के चक्कर में
आधा युग बिता दिया
ऐ बदलते भारत के बदलते युवा
अब छँटा दो अंधकार का धुंआ
दक्षल कुमार व्यास
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