संग्राम

Jai Hind

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Dakshal Kumar Vyas
Dakshal Kumar Vyas 03 Mar, 2022 | 1 min read

लहू से सिंचित हुई इस देश की भूमि

स्वाधीनता संग्राम में

लहू का कतरा- कतरा था योगदान में

विचारों का जमावड़ा लगा थोक प्रतिनिधियों का

यत्न प्रयत्न किए बहुत ने सफलता हाथ लगी कई को

हिंसा अहिंसा की दो राह पर चल पड़े दिग्गज सारे

गर्म नर्म दल कहलाए ये गूठ

विचार अलग पर मंजिल दोनो की एक थी

देश भक्ति, जुनून, विचार स्वतंत्रता का था सबके दिल में

आखों में थी चमक इरादे थे मजबूत वीरों के

हुए शहीद, लगी बेड़ियां, सलाखों के पीछे थे कई

अन्न छोड़ आजादी देखी

हवा छोड़ आजादी ली

सपने आजादी के

भविष्य आजादी का

सांस आजादी की

खड़े हुए सिपाही यहां खुद कुरबा देश बचाया जहा

राह नहीं थी आसान मंजिल नहीं थी नजदीक हौसले थे

बुलंद इरादे थे नेक

मुश्किल हुई आसान

जीत थी कदमों में जहां।


दक्षल कुमार व्यास

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Dakshal Kumar Vyas

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