ग़रीब

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Dakshal Kumar Vyas
Dakshal Kumar Vyas 19 Mar, 2022 | 0 mins read
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हां मैं ग़रीब हूं लाचार नहीं

हां मैं ग़रीब हूं बेईमान नहीं

रोज़ कमाता रोज़ खाता

घर, परिवार का पेट भारत

कभी सुखी तो कभी पानी

से में काम चलाता

दीवाली पार में भी दीप जलाता

एक लंगोट रोज़ पहनता

तन नहीं इज्ज़त ढकता

चुनाव में रोज़ चूल्हा जलता

वोट के बदले पैसे लेता

हां लेता हूं

पर बेईमान नहीं हूं

चोरी नहीं, गद्दारी नही

बस लेता हूं

हां कम में खुशियां ढूंढ लेता हूं

दुःख का क्या कभी भी याद कर लेता हूं

कम कपड़े, कम भोजन

छोटा घर थोडी सुविधा

हां पर स्वाभिमान से रहता

हूं।


दक्षल कुमार व्यास

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Dakshal Kumar Vyas

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