उदय हुआ नया सवेरा
लिएं नए उम्मीदों का मेला
रौशनी छा गई चारो ओर
नारंगी सा ये आसमा पूर्व की और
जागी नई किरणे जीवन की
लगी बड़ी संभावनाएं तरक्की की
चल पड़े कदम मंज़िल की ओर
जा चुके पंछी दाने की और
निकल पड़े नए लक्ष्य के लिए
उदय हुए है नवाचार प्रत्येक के
सकारात्मकता की ऊर्जा उदय पूर्व से
लिएं तैयार बस्ता कंधो पे भार
निकल पड़े है ये यार
पेड़ हुए खुश , नदिया हुई प्रसन्न, जंगल हुए आनंदित, पक्षी प्रफुलित
इस उज्यारे से
किए स्वागत करने खड़े ये पहाड़
चिर आया रवि पहाड़ को
लाया नया सवेरा दूर कर अंधेरे को
दक्षल कुमार व्यास
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