मंजिल थोड़ी दूर थी
झोंका आया उत्तर से
हिला दी नींव देश की
चक्का जाम किया विश्व का
मुंह के अलावा कुछ नही चला
पेट के अलावा कुछ नही भरा
परिवार को देखा एक जूट
गरीबों का जीवन दिखा मजबुर
मौत का तांडव दिखा
लाचारी का दृश्य मिला
प्रकृति की आवश्यकता हुई
मोर्चा संभाला सफेद कोट ने
दिल को स्थिर रख दिमाग से काम किया
मजहब को दूर रख मानवता का कार्य किया
रात दिन लगे एक ही लक्ष्य के पीछे
वैक्सीन का कवच हो सब के आगे
कईयों के परिवार गए
कईयों के रोजगार गए
कई भूखे सोए
कई पैदल घर आए
मुंह पे मुखोटा लगा सभी के
चाहे अमीर हो या गरीब
कोरोना का प्रभाव सभी को
जीवन संतुलन बिगड़ गया
खेती में ध्यान बढ़ गया
त्योहार सूखे निकल गए
विद्या मंदिर बंद पड़े
भगवान के कपाट लगा दिए
वंदना दिल से चालू थी
हाथ फेले जैसे ही
साथ देने निकल गए
मानवता का नमूना दिया
विश्व में भारत की एकता
अखंडता
नेत्वत्व
का दृश्य मिला।
दक्षल कुमार व्यास
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