स्वतंत्र

Nature

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Dakshal Kumar Vyas
Dakshal Kumar Vyas 20 May, 2022 | 1 min read
Nature Paperwiff

आज प्रकृति से हुआ रूबरू ऐसे

ये ठंडी धीमी हवा कैसी

खुशबू मिट्टी की, विचारो की, शुद्धता की ऐसी

ऊंची ये वृक्ष की डालियां हाथ फैलाए हुई ऐसी

वर्षा का स्वागत करने खड़ी कैसी

बंधन से मुक्त हुए बादल ऐसे

बंदिशों में नहीं जी रहे वृक्ष केसे

आसमा को छुने की होड़ लगी ऐसी

स्वयं रास्ता निर्धारित करता ये जल केसे

खल- खल बहता औषधि युक्त जल ऐसे

चिंता मुक्त पड़ी चट्टाने ऐसी

स्वर्ग का एहसास हुआ केसे

प्रकृति से हुआ रूबरू ऐसे।

दक्षल कुमार व्यास

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Dakshal Kumar Vyas

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