आपकी चीज अच्छी पर दूसरे की बुरी नही

सभी को अपनी पसंद कुछ खास लगती है। पर हम यह भूल जाते है कि दूसरों को भी अपनी चीजों से उतना ही प्यार होता है।

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Chetna sharma
Chetna sharma 31 Mar, 2020 | 1 min read

मिताली अभी कुछ दिनों पहले ही अपने पति के व बच्चों के साथ अपने नए घर और नए शहर में शिफ्ट हुई थी। बड़े शहर के तौर तरीके जानती थी, पर फिर भी अपनी सोच से उसे प्यार था। पति को जब दिल्ली जैसे बड़े शहर में नौकरी का ऑफर आया, तो वह थोड़ा ऊहा-पोह की स्थिति मे थी। पर फिर उसकी सास ने ही समझाया जहां आदमी का काम धंधा हो, वहां तो साथ जाना ही पड़ता है बहू| ज्यादा सोचो मत और जाने की तैयारी करो| 

घर को सजाने संवारने में उसे 10 दिन लग गए। सामने वाली मधु भाभी जो उम्र में उससे बड़ी थी, पर देखने में उसके बराबर की ही लगती थी, ने कहा-" चलो मिताली आपको नई सोसाइटी में पुराना करवा देते हैं|"

मिताली ने मुस्कुराकर कहा- "मैं कुछ समझी नहीं, भाभी जी!"  

अरे! चलो आज सभी सोसाइटी की खास लेडीस को शाम की चाय पर बुला लो, सबसे मिलना जुलना व पहचान हो जाएगी। क्या घर में बच्चों के बीच ही अपना पूरा दिन गुजार देती हो? मिताली जानती थी, पारिवारिक जीवन महत्वपूर्ण है परंतु व्यक्ति को सामाजिक उत्तरदायित्व का निर्वाह भी करना पड़ता है। वह पति को ऑफिस, बच्चों को स्कूल भेजकर स्वयं 10 दिन की थकान उतारना चाहती थी ।

फिर भी उसने न चाहते हुए भी, मधु जी को सबको दोपहर में बुला लेने के लिए कहा। दोपहर 12:00 बजे का टाइम था, सभी एक-एक करके आना शुरू हुए। मिताली ने बहुत करीने से, सुचारू रूप से अपना घर सजाया था। घर में जरूरत पूर्ति का लगभग हर सामान मौजूद था। मधु जी ने मिताली से सब का परिचय करवाया। यह मिसेज़ शाह है मिताली, इनके हसबैड का डायमंड का बिजनेस है और यह राधिका, इनका तो स्वयं का एनजीओ है। समाज सुधार का शौक है इन्हें| समाज-सुधार का शौक? यह वाक्य सुन मिताली को कुछ अटपटा सा लगा। पर उसने मुस्कुराकर अभिवादन किया।

यह मिसेज़ कपूर| सेविंग वगैरह करती हो तो, यह कमेटी डलवाती हैं। ऐसे ही सभी के पति का कोई न कोई व्यवसाय व ऐसा कुछ, जिसके द्वारा वह अपने स्टेटस का प्रदर्शन भी कर रही थी। मधु जी का तो स्वयं का बुटीक ही था। मिताली ने चाय नाश्ते का प्रबंध किया और बैठ गई सभी के साथ आकर।

तभी राधिका ने कहा- "देखिए, मैंने डायमंड की बैंगल्स बनवाई हैं।" इस पर तपाक से मिसेज शाह बोली किस से बनवाई है? आई मीन कौन से ज्वेलर? जी, मेरे ससुराल पक्ष के खानदानी सुनार हैं वह - राधिका ने कहा। सुनार मुंह से सुनते ही मिसेज शाह बोली - "राधिका दिल्ली में रहती हो, फिर भी क्या छोटे-मोटे सुनारों से डायमंड बैंगल्स बनवाली, देखो मेरी बैंगल्स कितनी शाइन कर रही हैं, तुम्हारे अमेरिकन डायमंड लगते हैं ।

राधिका जी को तो बुरा बाद में लगता मिताली ही मुंह देखती रह गई मिसेज शाह का ।

मिसेज शाह ने कहा -"तुम्हें पता है, तुम्हारे भाई साहब ने इस बार अपने शोरूम के बाहर भंडारा लगवाया, कि गरीब लोगों को एक वक्त का खाना खिलवा देते हैं, पर भंडारा पूरा दिन ही चलता रहा"। तभी सहज स्वभाव वाले मिताली ने कहा- "यह तो बहुत पुण्य का काम है भाभी जी।

तभी तपाक से राधिका बोली जिनका स्वयं का एनजीओ था "क्या मिसेज शाह, सड़क पर आने जाने वालों को क्या फायदा खाना खिलाने से?"

अरे! क्या बात करती हो? भिखारी, रिक्शेवाले इन्हें पूरी सब्जी कहाँ मिलती है खाने को! हमने तो हलवा भी बनवाया था।

वही तो, अनाथ आश्रम, विधवा आश्रम में जाकर हलवा बंटवा देती, तो कितना अच्छा होता। रिक्शा वाले तो फिर भी कमा लेते हैं।

तभी मिसेज शाह ने कहा-" अरे पर भंडारा तो खुले में रोड पर ही किया जाता है, पुण्य तो तभी मिलता है।"

"अरे! मिताली कितने सादे सूट पहनती हो, अब दिल्ली जैसे बड़े शहर में आ गई हो, जरा डिजाइनर सूट पहना करो। कल मेरे साथ मेरे बुटीक चलना, वहां से तुम्हारे लिए कुछ डिजाइनर पीस निकलवा दूंगी"- मधु जी ने कहा।

राधिका ने तभी मधु जी से कहा- "मधु जी आपने जो पिछली बार मुझे डिजाइनर कुर्ती दी थी ना, वह तो बहुत कॉमन है। सभी के पास मिल जाती है। सरोजनी में तो आधे रेटो पर लटक रही थी जगह-जगह"।

मिसेज़ कपूर तभी अचानक बोली - "अरे! आप लोग क्या कुर्ती वगैरह में पैसे वेस्ट करते रहते हो, कमेटी डालो कुछ सेविंग तो हो जाएंगी"।

तभी मिताली को एक वितृष्णा सी हुई, अचानक से उठ गई| उसे उठता देख, सभी चौंक गए। तो उसने बात संभालते हुए कहा- "मैं फ्रिज से आइसक्रीम लेकर आई आप सभी के लिए"

यहां दिल्ली में गर्मी कुछ ज्यादा बढ़ गई है। मिसेज शाह ने राधिका और मधु जी ने एक साथ स्वर में स्वर मिला कर कहा "हां तुम्हारा ए.सी. लोकल कंपनी का लगता है। मेरे यहाँ फला कंपनी का है। अरे आपका वाला बिजली ज्यादा खाता है। मेरे वाला ज्यादा स्टार वाला है। तभी राधिका ने बोला, आप लोगों के ए.सी. का डिजाइन कॉमन है। बिल्कुल अच्छा नहीं। मेरा तो डिजाइन ही बिल्कुल अलग है।

और किचन में खड़ी मिताली यह सोच रही थी। यह लोग बेवजह क्यों एक जगह बैठे-बैठे ही रेस लगा रहे हैं एक दूसरे से। ए.सी. काम कैसे करेगा? जब यह भीतर की गर्मी से बाहर की गर्मी को दबाने की कोशिश करती रहेगी।

हर इंसान की जरूरत अलग है, सोच भी, व जेब अलग। तो वह उसी हिसाब से भौतिक वस्तुओं का चुनाव करेगा। आप की चीज अच्छी हो सकती है। पर दूसरे की बुरी नहीं। उसके लिए उसकी चीज ही अच्छी रहेगी। यह सोचते हुए आइसक्रीम लेकर ड्राइंग रूम में पहुंची।

अब अगला डिस्कशन आइसक्रीम पर शुरू हो चुका था। "आप सभी को पता है" मिताली ने कहा। यह आइसक्रीम मैंने अपने हाथों से जमाई है। और इसे मैंने अपनी माँ से जमाना सीखा था। इससे मेरी माँ की यादें जुड़ी हैं ।

हाँ यह तो सच कह रही हो मिताली। मिसेज शाह ने कहा "सभी अपनी माँ से भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं, इसकी मिठास में माँ का प्यार भी छुपा है तुम्हारी"।

आपने सही कहा मैं भी यही कहना चाहती हूं, आप सभी से कि हर इंसान अपनी चीजों से भावनात्मक रूप से जुड़ा होता है। उसकी कोई ना कोई याद जुड़ी होती है अपने घर की या अपने से जुड़ी हर चीज से।

 मुझे याद है वह पहली 800 मारुति, पापा घर लाए थे। सबसे पसंदीदा कार है मेरी।

मिसेज शाह बोली "मुझे अपनी एक गोल्ड रिंग बहुत पसंद है, जो उन्होंने मुझे पहली बार गिफ्ट दी थी"।

राधिका जी तपाक से बोली - "सही कहती हो मिताली, अनाथ बच्चों को कोई गोद लेता है तो माता-पिता और उस बच्चे की आंखों की चमक में सारी दुनिया भुलाई जा सकती है।"

"हाँ यह तो है" मधु जी ने कहा "सभी को अपनी अपनी चीजों से लगाव होता है, मुझे अपना शादी वाला लहंगा, जिसे मैंने खुद डिजाइन किया था। अब आउट ऑफ फैशन भी हो चुका है। पर बहुत पसंद है, मुझे कुछ अच्छा नहीं लगता उसके आगे"।

तभी तो कहती हूं आप सबकी चीजें बहुत अच्छी हैं । पर दूसरे की भी बुरी नहीं| आपकी चीजें जितनी अच्छी हों पर दूसरों के लिए उनकी चीजें ही अच्छी हैं। अपना दिल कुछ बड़ा रखें और उसमें दूसरों की पसंद को भी स्थान दें। और मिताली की इस बात से वहां बैठे सभी लेडीज सहमत हुई और कमरे में सकारात्मक मुस्कान की रोशनी फैल गई।

चेतना शर्मा

मौलिक व स्वरचित

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Chetna sharma

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