जब छोटी थी तब ये ही सोचती थी..."ईश्वर कहाँ हैं और कहाँ रहते हैं..??", लेकिन वक्त के साथ बड़े होते-होते समझ आया, ढूढंने जाओगें तो ईश्वर कहीं नहीं, मिलेंगें तो सिर्फ आपकी उस "आस्था" में जो आपकी "ईश्वर" के प्रति हैं। मेरी "ईश्वर" के प्रति गहरी आस्था ही मुझे ईश्वर से जोड़े रखती हैं!!
रात को जब भी सोती हूँ,"भगवान्" को धन्यवाद जरूर करती हूँ, जैसे आज का दिन शुभ रहा,वैसे ही आगे भी सभी दिन शुभ रहे। आखिर "भगवान्" हमारे घर के सदस्य ही तो हैं, जैसे हम घर के और सदस्य से बात करते हैं, वैसे ही मैं "भगवान्" से,अपनी मन की कुछ बातें कर लेती हुं, बहुत सकूं मिलता हैं!!
जब लगे आप बिल्कुल अकेली तन्हा, निराश और अवसाद से घिर रहे हो,और आपका साथ देने वाला कोई नहीं हैं, आप के दर्द को सुनने वाला कोई नहीं हैं तो आप अपने घर के मंदिर में जाइये और "भगवान" के सामने बैठ जाइये और उनको निहारिये, आँखे बंद कर लीजिए!!
और जो भी जिंदगी से शिकायतें हैं, गुस्सा हैं, नफरत हैं ,सब भगवान के सामने नि:संकोच कह डालिए, इससे "भगवान" गुस्सा नहीं होंगे। आप महसूस करेंगें आपके अंतर्मन के अंदर जो भी द्वंद्व चल रहा था बिल्कुल शांत हो गया हैं, आप अपने आप को फिर से ऊर्जावान महसूस करेंगे!!
और अंत में "भगवान्" से यही कहिये एक आप ही तो हो जिनको मैं अपनी सारी परेशानिया बेजिझक कह सकती हूँ जैसे एक "छोटा बच्चा अपनी माँ से सब कुछ कहता है, बिलकुल वैसे ही"!!
मैं खुद ऐसा ही करती हूँ ,जब दु:खी और निराश होती हूँ, मन को बहुत शांति मिलती हैं!!
जब भी कोई दुविधा होती है, सब कुछ कह डालती हुँ, "ईश्वर" पर छोड़ देती हुँ, अब जो करना हैं बस आपको करना हैं, सब देख लेना आप.!!
"ईश्वर" हमारे आस -पास ही होते हैं, लेकिन हम अपने दुःख में इतने घिर चुके होते हैं कि हम महसूस ही नहीं कर पाते। जब मैं "माँ" बनी, तब मुझे महसूस हुआ हां "भगवान" सब सुनते हैं। हमारे आस पास ही है। मेरा बच्चा नहीं होता तो मेरी जिंदगी की डगर ना जाने किस रास्ते पर ठोकर खा रही होती!!
एक दिन मेरे पति ने कहा तुझे कभी "पूजा" करते नहीं देखा, हाथ ही जोड़ लिया कर, "कैसे समझाऊ उन्हें..??", मैं तो अपनी नन्ही सी बेटी में ही ईश्वर के साक्षात दर्शन करती हूं!!
"ईश्वर" को खुद अपनी तारीफ नहीं सुननी होती, वो तो अपने "भक्त की सच्ची श्रद्धा", के भूखें होते हैं!!
झूठा व्रत करू,
करू झूठा उपवास,
झूठा भजन करू मैं,
तो आस्तिक कहलाऊँ,
नहीं तो नास्तिक कहलाऊँ मैं!!
!धन्यवाद!
चन्द्रा चौहान
(स्वरचित, मौलिक रचना)
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Nice
सुंदर रचना! एक अनुरोध है कृपया टाइटल वाले ऑपशन में केवल रचना का शीर्षक लिखें व टॉपिक वाले ऑपशन में I worship you select करें।टाइटल में ही कॉटेंस्ट मत लिखें।सादर
कुमार संदीप जी बताने के लिए आपका धन्यवाद!
Thanku Babita ji...
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