Chandanpreet kaur

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ये लढ़कियाँ इतना रोती क्यूँ हैं ?
सुनो तुम लड़कियाँ इतना रोती क्यूँ हो ? क्यूँ रोना इतनी बुरी बात है क्या ? मैं रोती हूँ जब बुरा लगता है । मैं रोती हूँ जब ग़ुस्सा आता है । मैं रोती हूँ जब शर्मिंदा होती हूँ । मैं रोती हूँ जब झुकना पढ़ता है । मैं रोती हूँ जब सुनना पढ़ता है । और कभी क़बार ज़्यादा हस्ते हस्ते भी रो देती हूँ । हमें नहीं दिए जाते बन्दूकों और गाढ़ियों से ख़िलौने। हमें नहीं सिखाया जाता ग़ुस्सा करना । हमें थमा दिए जाते हैं गुड्डे गुड्डियाँ । और जो बेचारे लढ़के रो देते हैं , कह दिया जाता है उन्हें भी लड़कियाँ। और तुम पूछते हो ये लढ़कियाँ इतना रोती क्यूँ हैं ।

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by chandanpreetkaur

ये लढ़कियाँ इतना रोती क्यूँ हैं 🥺

18 Sep, 2022