एक दिन अचानक जब बेटी को खाना खिला रही थी मैं तब ऐसा लगा जैसे कोई है जो अपनी भूरी आंखों से झांक रहा है |जैसे ही मैंने कहा , कौन है वहां , वो गायब हो गयी |यही सिलसिला पार्क मे भी हुआ लगा जैसे कोई है भूरी आँखों वाली जो रिया को निहार रही है पर अचानक ही झाड़ियों मे छिप गयी हो|मन मे एक डर सा बैठ गया की कोई मेरी बेटी को नुकसान पहुंचाना चाहता है | बस साये की तरह चीपक गई मैं रिया के साथ|स्कूल खुद छोड़ कर आना खुद लेकर आना |पार्क भी जाना बंद कर दिया |जब एक दिन एक सहेली ने पूछा आज कल पार्क नहीं आती हो तब मैंने बताया की कोई भूरी आँखों वाली बिखरे बालों वाली औरत मेरी बेटी के पीछे पड गयी है तब सहेली ने कहा ऐसा तो मुझे भी लगा है की मेरी बेटी को नुकसान पहुंचाने कोई आयी है |जब हम सभी सहेलियो ने आपस मे बात की तो पता चला ऐसा सबने महसूस किया है की कोई भूरी आँखों वाली उनके घर मे झांकती है |फिर एक दिन हम सबने एक प्लान बनाया और पार्क मे उस भूरी को घेर ही लिया | तरह तरह के सवाल पूछने लगे मारने पर भी उतारु थे क्यूँकि अपने बच्चों के लिए चिंतित थे | तभी हमारी एक सहेली जो मनो चिकित्सक है ने हमे रोका और कहा मुझे ये बच्चा चोर नहीं लगती | मुझे ये दिमागी तौर से परेशान लग रही है |शायद वो सही थीं |उन्होंने उस से बातचीत करना शुरू किया |उसका हाल देख ऐसा लग रहा था जैसे कई दिनों से कुछ खाया नहीं उसने |जैसे ही उस से पूछा खाना खाओगी ? भूरी ने हाँ मे सर हिला दिया जैसे कई दिन से भूखी थी बेचारी |पार्क के समीप मंदिर मे उसे लेकर गए उसके हाथ मुँह धुलवाए ..उसको खाना खिलाया |उसको थोड़ा सा सिंगार का समान दिया और कहा जाओ अपने बाल बना लो और त्यार हो जाओ | ये क्या ?? वो भूरी जब त्यार होकर आयी ..बिलकुल भूरी नहीं थी बल्की एक बहुत ही सुन्दर सी कम उम्र की लड़की थी | धीरे-2 उस से सवाल जवाब का सिलसिला शुरू किया पहले तो वो डर रही थी पर जब हमने आश्वासन दिया की तुम्हे कुछ नही होगा बताओ कौन हो ? कहाँ से आयी हो ? और ऐसे छुप छुप कर हमारे बच्चों को क्यों देखती हो ? तब उसने बताया की वो राजस्थान के एक छोटे से गांव से है उसके माँ बाप का देहांत तो बचपन मे ही हो गया था मंदिर मे ही रहती थी |पुजारी जी ने ही ऊंचे घर मे एक बड़े उम्र के आदमी से शादी करवा दी थी |जिसने अपनी पहली बीबी को बच्चा न होने के कारण छोड़ दिया था | पर जब मैं भी 2 साल तक बच्चे का सुख नहीं दे पायी तो मुझे मारना पीटना शुरू कर दिया और बाँझ है का ताना मारने लगे |पर एक दिन रात मे भाग आयी घर से और किसी बस मे जाकर बैठ गयी जब आँख खुली तो इस शहर मे थी |चलते चलते थक गयी तो इस पार्क मे आकर बैठ गयी |जब भी बच्चों को देखती हूँ तो एक ख़ुशी सी होती है बस इस लिए ही बच्चों को छुप छुप कर देखती थी |रात मे सामने वाले मंदिर मे सो जाती हूँ कुछ खाने को मिल जाता है तो सही वरना भूखे ही सो जाती हूँ |हम सबको बहुत शर्मिंदगी महसूस हो रही थी की हमने कितना गलत समझा भूरी अरे मेरा मतलब मीरा को | RWA से बात कर के मंदिर मे उसको एक कमरा दिलवा दिया और थोड़ा बहुत जरूरत का समान भी |इसी बीच एक NGO की हेल्प से हमने भूरी को आंगनवाड़ी मे खाना बनाने की नौकरी भी दिलवा दी |वहां बच्चों के साथ वो अपने सारे गम भूल गई |उसको भी बच्चों के साथ बहुत अच्छा लगता था और बच्चे भी अपनी भूरी आंटी को बहुत पसंद करते थे | पूरी दुनिया ही बदल गयी थी भूरी उर्फ़ मीरा की |
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चंचल नरूला
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