जब किरण की रिपोर्ट्स मे कैंसर की पुष्टि हुई तो घर पर उदासी के बादल छा गए|बच्चे मम्मी के बारे मे सोच कर ही दुखी हुए जा रहे थे|पहले तो किरण भी 2 दिन कमरे से बाहर नहीं निकली|फिर खुद को समझाया की ये समय भी बीत जायेगा| फिर उसी समय निर्णेय किया की अपनी बीमारी से लड़ेगी और हर संभव प्रयास करेगी इस से बहार आने का|मुझे अपने लिए नहीं अपने बच्चों की खुशी के लिए अपनी बीमारी से बाहर आना होगा|बच्चों की हंसी के लिए जीना होगा |उसने अगले दिन से ही एक नई जीवन शैली को अपनाया |योग और व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल किया|अपने खाने-पीने का पूरा ध्यान रखना शुरू किया |समय से दवाई लेना, समय से खाना खाना ,समय से योग करना सब शुरू कर दिया |एक नया नजरिया अपनाया जिंदगी जीने का | साथ ही अपने बच्चों को छोटे-मोटे काम करने भी सिखाने शुरू किए ताकि वह आत्मनिर्भर हो सकें|अपनी मेहनत और उसकी खुद की इच्छा शक्ति ने बीमारी को मात दी और जल्दी ही वह कैंसर से बाहर आ गई |अपने बच्चों को भी उसने यह सिखाया की हिम्मत नहीं हारने से कितनी भी विपरीत परिस्थितियां क्यों न आ जाए मुसीबत टल ही जाती है | हमारे संयम और धैर्य बुरे से बुरा वक्त भी आसानी से निकल ही जाता है |
यह वक्त भी बीत जाएगा
हिम्मत नहीं हारने से कितनी भी विपरीत परिस्थितियां क्यों न आ जाए मुसीबत टल ही जाती है | हमारे संयम और धैर्य बुरे से बुरा वक्त भी आसानी से निकल ही जाता है |
Originally published in hi
Chanchal Narula Puri
16 Nov, 2019 | 1 min read
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