चलो चलो जल्दी से साफ करो इस जंगल को यहां पर नए फ्लैट्स बनेंगे|पेड़ कटवाने आए मैनेजर साहब ने कर्मचारियों से कहा|राजू छटपटा उठा|मैनेजर साहब के आगे गिड़गिड़ाने लगा,मत काटो साहब मत काटो|ऐसे लग रहा था मानो उसके प्राण ही निकल जाएंगे| आखिर मैनेजर से रुका ना गया उसने पूछ ही लिया अरे, सरकार तुम्हें इसके बदले दूसरा घर तो देगी|अभी तो तुम सड़कों पर रहते हो|तुम्हें इतनी तकलीफ क्यों हो रही है? साहब ,एक बच्चे को उसकी मां से जुदा करोगे तो उसको तकलीफ होगी ही ना|मैं दोबारा से अनाथ हो जाऊंगा|जन्म देने वाली मां तो जन्म देते ही चल बसी |इस धरती को ही अपनी मां समझा| धरती मां ने मुझे मां की तरह अपने आंचल में छुपा के रखा|इन पेड़ों ने ही सूरज की तपिश से बचाकर रखा|दिनभर मजदूरी कर ,थक हार कर खुले आसमान में तारों के उजाले तले इस धरती पर जब लेटा,धरती मां ने अपने आगोश में ले सुलाया|ऐसे लगा जैसे मेरी मां ने मुझे ममता की मीठी लोरी सुनाइ|बिल्डिंग तो बन जाएगी साहब ,पर मेरी मां दोबारा मुझसे जुदा हो जाएगी और मेरे जैसे कितने और राजू अनाथ हो जाएंगे| राजू की बात सुन आखिरकार मैनेजर को बुलडोजर रुकवाना ही पड़ा | चंचल नरूला
फरीदाबाद
चंचलनरूलामैनेजरकोबुलडोजर रुकवाना हीप |
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