धड़क -धड़क ,की आवाज सुन रेखा दौड़ती हुई गई अपने बगीचे की तरफ| यह क्या कर रहा है चीकू ?तूने मेरे गमले तोड़ दिए | पता है कितनी मेहनत की थी मैंने इन पौधों को इतना बड़ा करने में ? तुझे पता है कितना बड़ा नुकसान किया तूने ? यह पौधे हमें ऑक्सीजन देते हैं | इनसे हरियाली रहती है |जिसमें घर में ठंडक बनी रहती है | मेरी कितने सालों की मेहनत बर्बाद कर दी ,रेखा एक सांस में बोल गई सब कुछ |तभी चीकू बोला मम्मा मुझे मेरी न्यू साइकिल की जगह नहीं मिल रही थी इसलिए मैंने यहां से इनको हटा दिया | रेखा लगभग चिल्लाते हुए बोली तूने यह किस से सीखा ?अपनी जगह बनाने के लिए पौधे तोड़ दो ?
मासूमी से बोला पापा से |कल ही तो पापा ने अपने नए प्रोजेक्ट के लिए शर्मा अंकल से कहकर इतने सारे पेड़ कटवा दिए |क्यों मम्मा वह पेड़ ऑक्सीजन नहीं देते थे क्या ? पेड़ों को भी तो इतना बड़ा होने में इतना समय लगा होगा ?और यह पौधे तो सिर्फ हमें ठंडक देते हैं वहां पर लगे पेड़ तो कितने सारे लोगों को ऑक्सीजन देते थे | ठंडक और छाया देते थे | मम्मा आप ही ने तो सिखाया हमेशा कि हमें सब के बारे में सोचना चाहिए |तो पापा ने क्यों नहीं सोचा सब के बारे में ? रेखा को उस मासूम की बातों से बहुत झटका लगा और अपनी गलती का एहसास हुआ |और उसने वादा किया उसे कि बेटा जो गलती हमसे हो गई है उसके बदले में हम और नए पेड़ लगाएंगे |और मुझे वादा करो तुम भी मेरा साथ दोगे |जी मम्मा कहकर चीकू वहां से चला गया | रेखा सोच में पड़ गई कि जब एक छोटा सा बच्चा इतनी बड़ी बात समझ सकता है तो हम सब क्यों अनजान बने हुए हैं ? क्यों अपने फायदे के लिए प्रकृति से खेल रहे हैं ? प्राकृतिक विनाश हम सबका विनाश है |हम सबको निर्णय लेना होगा कि हम इस बारे में कुछ करें ताकि कम से कम प्राकृतिक विनाश हो | और रेखा ने मन ही मन तय किया कि वह जरूर कुछ करेगी | लोगों की हेल्प करेगी और ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएगी |नई मुहिम चलआएगी जिसमें लोगों को अवगत करा सके प्राकृति हमारे लिए कितनी आवश्यक है? हमें इस धरा की कितनी जरूरत है ?
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