एक से डेढ़ के बच्चे जब शुरू शुरू में बोलना शुरू करते हैं, तभी सही समय होता है उनको रिश्तो के बारे में समझाने का| उदाहरण के तौर पर बच्चा शुरू में सिर्फ मम्मी पापा की बोलता है |तभी आप उन्हें सिखा सकते हैं कौन दीदी है ?भैया, दादा ,दादी ,नाना, नानी ,चाचू ,चाची, बुआ आदि |इन सब शब्दों को सीखते सीखते बच्चा अपने रिश्ते भी समझने लगता है|
अब सही समय आ गया है जब बच्चे को थोड़ा सा खेलकूद के साथ-साथ ज्ञान देना भी शुरू किया जाए| शुरुआती तौर पर आप बच्चे को शरीर के अंगो का ज्ञान देने से कर सकते हैं |खेल खेल में ही अपनी आंखें झपका कर आंखों के बारे में, हाथों से ताली बजाकर हाथों के बारे में, आदि तरीकों से बच्चों को सिखाया जा सकता है |बच्चों का नाजुक मन इस तरीके से सिखाने से जल्दी किसी भी चीज के बारे में सीख जाता है |
आप बाजार से रंग-बिरंगे ब्लॉक्स लाकर भी बच्चे को रंगो का ज्ञान दे सकती है|
ध्यान देने योग्य बातें:-
बच्चे को कभी भी जबरदस्ती कुछ भी ना सिखाएं |हर बच्चा अपनी उम्र के हिसाब से ही चीजों को सीखना शुरू करता है| कुछ बच्चे जल्दी सीखते हैं और कुछ बच्चे देरी से सीखते हैं| मां के लिए जरूरी है, वह हमेशा अपना धैर्य बनाए रखें |जब आपको लगे बच्चा खेलने के मूड में है और आपकी बात के साथ तालमेल बिठा पा रहा है तभी उसे कुछ नया सिखाने का प्रयास करें |अगर आप जबरदस्ती बच्चे पर कुछ भी थोपना चाहेंगी तो बच्चा हमेशा के लिए पढ़ाई से दूर भागने लगेगा |इसलिए भविष्य को ध्यान में रखते हुए अभी सिर्फ खेल खेल में जितना बच्चा सीखना चाहे इतने पर ही जोर दीजिए |
कब और कैसे करें आरंभिक शिक्षा शुरू #8
बच्चे को खेल-खेल में ही रंगो आदि के बारे में दिखाना शुरू करें
Originally published in hi
Chanchal Narula Puri
19 May, 2020 | 1 min read
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