लड़कियां ' लक्ष्मी ' ही क्यूं , सरस्वती क्यूं नहीं कहलाती है,
घर में लक्ष्मी अाई है,ये रट ही क्यूं लगाई जाती है।
विद्या कला सरगम से पूर्ण सरस्वती क्यूं नहीं बनाई जाती है
तुम पराया ' धन ' हो, बस ये बात बताई जाती है।
तुम शक्ति हो
ये बात छुपाई जाती है
पहले देवी बनाते है समाज वाले
फिर उसकी औकाद बताई जाती है ।
तुम बेटी हो,तुम्हारी ये मर्यादा है,
तुम बहू हो,तुम्हारी आवाज़ बहुत जायदा है
अपने लिए जिए तो स्वार्थी हो जाती है,
लड़कियां जैसे जन्मती है,वैसे ही मर जाती है ।
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Nice
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