"मम्मी जी अभी तो मेरी शादी को सिर्फ 6 महीने ही हुए है, मैं अभी मां नहीं बन सकती "स्मृति ने अपनी सास अनुपमा जी से कहा।
"हां ,पर मैं तुम्हें तुम्हारे लिए बच्चा पैदा करने का नहीं बोल रही हूं।तुम्हें पता ही है मेरी बेटी सारा की शादी को पांच साल हो गए।कितने इलाज के बाद अब तो डॉक्टर ने भी बोल दिया है कि वो मां नहीं बन सकती।"अनुपमा जी ने स्मृति को समझाते हुए कहा।
हां ,पर मुझसे ये ना हो पाएगा मम्मी जी।पहले इतना दर्द सहो फिर बच्चा भी दे दो।"स्मृति ने साफ मना कर दिया।
"तुम्हें मेरी बहन के लिए ये करना ही पड़ेगा।तुम्हें पता भी है उनकी सास उन्हें कितना परेशान करती हैं। मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ रहा हूं,दीदी की खुशी के लिए ,परिवार की खुशी के लिए,सेरोगेसी करवा लो।"स्मृति का पति अमित ने हाथ जोड़ते हुए कहा।
स्मृति के मन में विचारों का ज्वार उमड़ पड़ा ।क्या करें क्या ना करें।अंत में पति की मनुहार और परिवार की खुशी के लिए स्मृति अपनी ननद के लिए मां बनने को तैयार हो गई।
9 महीने के कठिन तपस्या के बाद आज लेबर रूम में दर्द से तड़प रही थी। हजारों कोशिश करने के बाद भी जब नॉर्मल डिलीवरी नहीं हुई तब ऑपरेशन करना पड़ा।
जब होश में अाई तो देखा ननद ने बच्चे को गोद में लिया हुआ था।स्मृति भी चाहती थी अपने बच्चे को गोद में ले उसे ढेर सारा प्यार करे।
लड़का है या लड़की"स्मृति ने पूछा।
लड़का हुआ है। मैं नानी बन गई।अनुपमा जी ने कहा।
"नानी ,हां नानी ही तो बनी है।मेरा तो कोई अधिकार ही नहीं इस बच्चे पर।कितना मुश्किल होता है अपने शरीर के टुकड़े को किसी को दे देना।जहां मैं मां ना बन कर मामी बन गई थी।"स्मृति मन ही मन सोच रही थी।
अच्छा है कितने पैसे बच गए,किसी बाहर वाली से करवाते तो लाखों लूट लेती।अनुपमा जी और सारा आपस में बात कर रहे थे।
समय अपनी गति से चल रहा था।आज स्मृति की शादी को छ साल हो गए ।पर फिर से मां बनने का सौभाग्य नहीं मिल पा रहा था।पहली प्रेग्नेंसी में कुछ दिक्कतें हुई जिसके कारण अब वो फिर मां नहीं बन पा रही थी।
आस पड़ोस , परिजन की नज़रे सब उसे ही घूरती।जैसे सब उसे कह रहे हो "बांझ,बांझ"।
"मुझे बच्चा चाहिए मम्मी जी"स्मृति ने रोते हुए कहा।
सासू मां और ननद का दिल धक से बैठ गया,कहीं ये फिर से अपने बच्चे को ना मांग ले।
"चाहिए तो हमें भी,मुझे भी दादी बनना है,पर क्या कर सकते है।अब तू मां नहीं बन सकती तो।"अनुपमा जी ने कहा
"मैं मां बन सकती थी,मैंने बच्चे को जन्म दिया था।पर उस समय के दिक्कत के कारण अब मां नहीं बन सकती। आप ने ही मुझ पर जोर डाला था ।पर आप दोनों घबराइए मत । मैं फिर से आपसे बच्चा नहीं ले रही।"स्मृति ने कहा।
तो क्या चाहती हो आप भाभी,सारा ने पूछा।
हम दोनों पति पत्नी ने बच्चा गोद लेने का फैसला किया है।"अमित ने कहा।
गोद,नहीं नहीं,पता नहीं किसका खून हो गा।अनुपमा जी ने बुरी सी सूरत बना कर कहा।
"इससे अच्छा आप भी सरोगेसी करवा लो भाभी ,किसी से,आपकी बहन है ना।"सारा ने सुझाव दिया।
"क्या बोल रही हो आप दीदी।वो अभी पढ़ रही है।ओर मैं नहीं चाहती जैसा मेरे साथ हुआ वैसा किसी के साथ हो,कितना दिल दुखता है बच्चा देने में,इतना दर्द सहन कर के।किसी की मजबूरी होती होगी जो ऐसा करते है,पर मैं किसी की मजबूरी का फायदा नहीं उठाना चाहती।
इससे अच्छा होगा किसी अनाथ को नया जीवन दे।उसका भविष्य उज्वल बनाए।"स्मृति मजबूती से अपनी बात रखी।
कुछ दिनों बाद अमित और स्मृति ने एक बच्ची को गोद ले लिया।अनुपमा जी अभी भी दिल से उस बच्ची को अपना नहीं पाई।
©️®️वर्षा अभिषेक जैन
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
सही बात है, लोग अपना खून, बोलकर अजीब वितृष्णा का शिकार है ंं.!!
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