तुम बूढ़ी हो गई हो

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Varsha Abhishek jain
Varsha Abhishek jain 30 Jun, 2020 | 1 min read

मेघा ,मेघा कहां हो,कब से आवाज़ लगा रहा हूं।ओर तुम यहां छत पर हो ।समीर मेघा को खोजते हुए छत पर आया है ।

"पसीने पसीने हो रखी हो। बाल देखो सफेदी आने लगी है।आज शाम को पार्टी में जाना है।ऐसे जाओगी।सब बोलेंगे ये समीर के साथ बुढ़िया कौन है।"समीर ने मजाक उड़ाते हुए बोला।


"अच्छा ,ऐसा है तो किसी ओर के साथ चले जाओ" मेघा ने नाराज़ होते हुए कहा।


"अरे यार तुम तो बुरा मान गई।ठीक है कुछ नहीं बोलता वरना बोलोगी घर बच्चो में टाइम ही नहीं मिलता खुद के लिए।तुम तो हमेशा अस्त व्यस्त रहती हो बाल में कंघी करने का भी वक्त नहीं है तुम्हारे पास"



"हां तो सही तो है नहीं मिलता पूरा टाइम वरना कौन आराम नहीं करना चाहता। "मेघा ने जाते जाते कहा।



ऐसा नहीं है कि मेघा सुंदर नहीं है ,सुंदर है।हर काम में फुर्ती है।लेकिन घर में जब एक भी सदस्य बोल दे की बूढ़ी हो गई हो तो बाकी सदस्य भी यदा कदा बोल ही देते है।ओर मेघा को ये बात बहुत चुभती भी थी।



हुआ यह था कि एक दिन मेघा अपनी सास को दवाई देना भूल गई ।जिससे उनकी सुगर थोड़ी ऊपर नीचे हो गई।इस बात पर सासू मां ने मेघा को खूब सुनाया ओर बोल दिया तू अब बूढ़ी हो गई है तुझे याददाश्त की दवाई लेनी चाहिए।

वो दिन है ओर आज का दिन कभी पति कभी बच्चे बोल ही देते है मम्मी तुम बूढ़ी हो गई हो।


मेघा ने सुर्ख लाल रंग का गाऊन निकाला ,अच्छा सा जूड़ा बांध कर साइड में एक क्लिप लगाई ।गले में हीरे का हार ओर ऊंची एड़ी की सैंडल पहनी।


"खूब जच रही हो मेघा।आज तो अपनी उम्र से आधी लग रही हो"।समीर ने कहा।


"मैं तो ठीक लग रही हूं।आप भी ठीक से तैयार हो जाओ वरना लोग कहेंगे किस अंकल के साथ अाई है मेघा।"



समीर झेंप गया।उसे समझ आ गया कि ऐसे मजाक करना किसी का दिल भी दुखा देता है।


अगले दिन मेघा उठी ,ओर आराम से बालकनी में बैठ गई अपना ग्रीन टी का कप लेकर।


"बहू मेरी चाय कहां है।जल्दी ला।"सासू मां ने आवाज़ लगाई।

"आवाज़ को नजर अंदाज करते हुए ,पेपर पढ़ने लगी।"



"मेघा ,मेघा मां कब से बोल रही हैं चाय के लिए"।समीर चिलाता हुआ आया।



"क्या करूं समीर अब बुढ़ापे में काम नहीं होता ।एक काम करो स्वाति को बोलो वो चाय बना देगी।"


स्वाति मेघा की सोलह वर्ष की बेटी है ।

"स्वाति ,स्वाति"।मेघा ने स्वाति को आवाज़ लगाई।


"क्या हुआ मम्मी।अभी सात बजे है सोने दो ना।"स्वाति बोली।


"बेटा हम सब के लिए चाय बना दे।"मेघा ने कहा।



"मैं, क्यों।आपको क्या हुआ।आप बना लो।"स्वाति ने उतर दिया।


"अरे कल तूने ही तो कहा था,मम्मा आपसे कोई काम ठीक से नहीं होता आप बूढ़े हो गए हो।तो बूढ़ी की सेवा तो उसकी बेटी ही करेगी।


चल चाय बना।फिर ओर भी बहुत काम है साफ सफाई आज बाई भी नहीं अाई।खाना बनाना है। बाज़ार से सब्जी लानी है।कपडे मशीन में डालने है।दादी को दवाई दे देना कहीं मैं भूल गई तो।


तेरे पापा को भी बोल देती काम के लिए पर उनकी उम्र तो मेरे से भी दो बरस जायदा है ।पर शायद बूढ़ी तो मैं ही हुई हूं।वो भी मदद कर देंगे तेरी।"



"सॉरी मम्मी , मैं कभी आपको ऐसा नहीं बोलूंगी। बस आप नाराज़ मत हो प्यारी मम्मी। मैं रोज़ आपके काम में मदद कर दूंगी। आप बहुत सुंदर ही मम्मा वो तो हम ऐसे ही बोल देते है ।कभी सोचा ही नहीं आपको कितना बुरा लगता है।

आपको इतने काम होते है ,इसलिए आप टाइम नहीं निकाल पाते।लेकिन अब से प्रोमिस करो आप अपना ध्यान रखो गी ।


"हां मेघा हम सब ध्यान रखेगे हमें कब क्या बोलना चाहिए।तुम ही इस घर को संभाल सकती हो।तुमने 20 साल दिए है इस घर को खूबसूरत बनाने में।पर तुम अपने आप को मत भूलो।हमें माफ कर दो।


अब मेघा रोज़ सुबह वॉक पर जाती ,अपने खाने पीने का नियमित ध्यान रखती। घर के साथ साथ खुद के लिए भी वक्त निकालना सीख लिया था।


©️®️ वर्षा अभिषेक जैन

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