ज़ोरदार बहुरानी

A house comedy

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Varsha Abhishek jain
Varsha Abhishek jain 12 Jun, 2020 | 1 min read

सरला जी बस नाम ही सरला है लेकिन स्वभाव में ओर किसी तरह की सरलता नहीं..


सरला जी की आदत है अपने घर में अपनी ही चलानी, चाहे उसके लिए कोई भी तरीका क्यों ना निकाला जाए. चाहे कोई कितना भी परेशान क्यू ना हो.. येन केन प्रकरेन।

कभी किसी को बिना बताए घर से बाहर निकल जाती घंटों नहीं आती. सब ढूढ के परेशान हो जाते. कुछ पूछो तो गंगा जमुना बहा देती कहती कि अब इस घर में मेरी जरूरत नहीं बहू सब अपने हिसाब से कर लेगी.

सरला जी का एक सबसे बड़ा हथियार था सीने में दर्द जो कभी भी आ सकता था सरला जी की सुविधानुसार.

सरला जी की बहू संध्या पढ़ी लिखी कुशल गृहनी.. घर को अच्छी तरह से संभाल रखा है.

सरला जी ने बाकी घर वालों के सामने एक सरल सुलझी हुई सास की छवि बना रखी है.. संध्या को कहीं जाना हो सहेली के या फिर मायके सब के सामने सरला जी ख़ुशी ख़ुशी मान जाती है लेकिन फिर ऎसा दाव खेलती है की संध्या के सारे कार्यक्रम का क्रियाकरम हो जाता था.

संध्या को ये बात अच्छी तरह पता थी पर वो किसी को समझा नहीं पाती क्यू की मम्मी जी की अदाकारी के आगे सब फ़ेल.

संध्या कुछ बोलती तो सरला जी सीने में दर्द की शिकायत करने लगती ओर सब घबरा जाते ओर फिर संध्या को ही समझाने लगते। सब संध्या पर ही गुस्सा करते कि तुम बिल्कुल ध्यान नहीं रखती क क्यों परेशान करती हो मम्मी को।फिर डॉक्टर टेस्ट सब कराए जाते. मम्मी जी चली जाती बेड रेस्ट पर ओर संध्या की क्लास लग जाती.

हालाँकि टेस्ट सब नॉर्मल आते.. आने ही थे.. डॉक्टर बस बोल देते ज्यादा स्ट्रैस मत किया करो.. ओर पूरे परिवार की सहनुभूति सरला जी को मिल जाती.. सरला जी खुश हो जाती की जैसे कोई जंग ही जीत ली ही.

फिर कुछ समय बाद संध्या की देवरानी आई खुशी. ख़ुशी ओर संध्या मे भी अच्छी जमने लगी.


पर खुशी की खुशी से सरला जी नहीं थी. शादी के एक महीने तक तो सब ठीक ठाक चल रहा था. खुशी को अपनी सास भी बहूत अच्छी लगी.. खुशी ने अभी सासू माँ के दाव पेच देखे नहीं थे.

एक महीने बाद खुशी ओर उसके पति घूमने जाना चाहते थे.. सब ने बात मान भी ली. खुशी ने भी सारी तैयारी कर ली थी अगले दिन निकलना था.

तभी उसको सासू माँ की आवाज सुनाई दी दर्द से तड़प रही थी. खुशी देख कर घबरा गयी. उसे लगा हार्ट अटैक आया है उसने सासू माँ के सीने को जोर जोर से दबाना शुरू किया.. ओर दोनों हाथों से सीने पर जोर से मारने लगी..एक दो तीन.. मुक्के मारने लगी।

सरला जी की हालत मुक्के खाने से खराब.. सीने का दर्द भूल कर बीच में ही खड़ी हो गई.. "बहु मै एक दम ठीक हूं बस ऎसे ही एसिडिटी बन गयी थी तुम जाओ जाके अपनी तैयारी करो."

खुशी बोली " नहीं माँ जी आज से मै अपका ध्यान रखूंगी. अपको तेल घी मिर्च मसालेदार कुछ नहीं खाने दूगी. सिर्फ उबली सब्जियां ओर सूप ही खाओगी आप.. ओर आप का नाम भी योगा क्लास में लिखा दूगी. अब इस तरह बारी बारी सिने के दर्द को नज़रअंदाज़ तो नहीं कर सकते ना."

" नहीं मै बोल रही हूं ना एसिडिटी थी तुम जाओ ओर घूम के आओ.."सरला जी खुद को संभाले हुए बोल रही थी।

संध्या दरवाजे के पीछे से देख रही थी उसकी तो हँसी ही नहीं रुक रही थी वो सोच रही थी इतने दिन तो सीने में दर्द नहीं हुआ होगा पर आज मुक्के खाके जरूर हुआ होगा

तब का दिन है और आज का दिन है सासू माँ के सीने में कभी दर्द नहीं हुआ.. शायद बहु के मुक्के का कमाल था.

कहानी केसी लगी आपको राय अवश्य दे.

धन्यवाद्.

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