"आज कल की बहुएं 30-32 की हुई नहीं, कमर को लेकर बैठ जाती हैं| पहले पेट कटवा कर बच्चा पैदा करती हैं, दर्द से बचने के लिए बाद में कमर दर्द का बहाना बना कर बैठी रहती हैं|" शोभा जी ने एक तीर विभा की और छोड़ा| "हमारे जमाने में हम पूरे दिन काम करते थे, कोई काम वाली नहीं आती थी| तो भी कभी कमर दर्द नहीं हुआ| आज कल तो इतनी सुविधा है, जितनी ज्यादा सुविधा उतनी बीमारियां|"
"काम तो कर ही रही हूँ ना माँ जी! दर्द होने ना होने से किसी का काम रुक तो नहीं रहा?"
विभा के घर में सास-ससुर, देवर, दो ननद, एक बुआ सास, विभा के पति और 2 साल का नन्हा शैतान है| पूरे घर की जिम्मेदारी विभा के ऊपर है| कोई भी अपना छोटा मोटा काम खुद नहीं करता, जिसके कारण विभा थक जाती है और बच्चे के काम तो कभी खतम होते ही नहीं, न किसी को दिखाई देते हैं|
2 साल पहले विभा की डिलीवरी ऑपरेशन से हुई जिसका ताना आज तक सुन रही है| जब ऑपरेशन हुआ डॉक्टर ने आराम करने को कहा और ज्यादा देर बैठने से मना किया था, लेकिन भरे पूरे परिवार में कोई बच्चे की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहते थे| इसलिए दिन रात विभा को बैठे रहना पड़ता| ऊपर से सास के ताने कि "हम तो 4 दिन बाद ही काम पर लग गए थे, इन्हें देखो 15 दिन से आराम कर रही हैं!"
विभा को मजबूरीवश पंद्रह दिनों में ही घर के कामों में लगना पड़ा| इतना बड़ा घर, इतने सदस्य, फिर बच्चे की वजह से आराम करने को वक्त ही नहीं मिलता|
धीरे-धीरे विभा के स्वास्थ्य में गिरावट आने लगी| पूरे दिन चक्कर घीन्नी सी घूमने और घंटों खड़े रहने की वजह से कमर और पैरों में दर्द रहने लगा| आज भी कमर में दर्द था जो कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था, लेकिन किसी को कोई मतलब ही नहीं| विभा ने अपने पति रोहन को चाय का कप पकड़ाते हुए कहा आज कमर बहुत दुख रही है|
रोहन ने विभा की बात बीच में ही कटाते हुए कहा "ऐसा किस दिन नहीं होता? रोज़ ही बोलती रहती हो| ज्यादा आराम करने से भी कमर अकड़ जाती है" कहते हुए अपनी जूठी चाय का कप कमरे में छोड़ कर निकल गया|
आराम हमारे नसीब में कहाँ पति देव! एक कप तक तो कोई इस घर में अपने आप रखता नहीं|
"भाभी, भैया ठीक ही कह रहे हैं, हम तो तुम्हारे कमर की कथा सुन-सुनकर थक गए हैं| मुझे लेट हो रहा है मेरा टिफिन बना दो, बाद में आराम कर लेना|"
विभा को ननद की बात का इतना बुरा नहीं लगा जितना पति के द्वारा उसकी तकलीफ़ को अनदेखा करने से लगा|
अगले दिन शोभा जी की बहन की बेटी नेहा शोभा जी के घर रहने आई, जो हड्डी की डॉक्टर थी| विभा उसके लिए चाय नाश्ता लेकर आई| टेबल पर रखने के लिए जैसे ही झुकी, दर्द भरी आह निकल गयी|
"क्या हुआ विभा भाभी? आपके कमर में दर्द कुछ ज्यादा ही लग रहा है!"
"दीदी अब तो ये दर्द शरीर का हिस्सा बन चुका है, आदत सी हो गई है|"
"भाभी बीमारी कोई भी हो, इतनी लापरवाही सही नहीं| आप मेरे हॉस्पिटल चलो, देखते हैं क्या समस्या है| अभी उपचार करोगी तो सही हो जाएगा, जितना ज्यादा देर करोगी खुद की तकलीफ बढ़ेगी|"
विभा और नेहा हॉस्पिटल जाकर सारे टेस्ट करा लेते हैं| रिपोर्ट लेकर घर आ आते हैं| शोभा जी कहती हैं "क्या आया रिपोर्ट में, कुछ नहीं आया होगा| ऑपरेशन से बेटे को पैदा किया है अब और आराम करने का शौक आया है|"
"मासी जी अगर आपने डिलीवरी के समय ही भाभी को थोड़ा आराम कराया होता तो ये नौबत ही नहीं आती| आपको तो पता ही है जन्म के समय एक माँ का शरीर कितना कमजोर हो जाता है! रोहन भैया आपने भी कितनी अनदेखी की| एक बार तो डॉक्टर से सलाह लेते| भाभी की रीढ़ की हड्डी में ज्यादा देर तक खड़े रहने और वजन उठाने की वजह से थोड़ा गैप आ गया है|"
"तो अब क्या करना होगा?" रोहन ने चिंता जताई|
"कुछ दिनों की दवाई है और 7 दिन का बेड रेस्ट| इससे ठीक हो जाये तो अच्छा है, नहीं तो इसका अंतिम इलाज तो ऑपरेशन ही है|"
"विभा मुझे माफ कर देना, मैंने कमर दर्द को बहुत हल्के में लिया| मुझे नहीं पता था कि तुम्हें इतनी तकलीफ है| आज से तुम आराम करो| अपने अपने हिस्से का काम हम सब खुद करने की आदत डालेंगे| अपने अपने कपड़े हम सब खुद ही आयरन कर लेंगे, अपना सामान जगह पर रखेंगे| जितना हो सके तुम्हारी मदद करेंगे|"
विभा ने मुस्कुराते हुए कहा कि चलो कभी तो किसी ने औरत के कमर के दर्द को हल्के में नहीं लिया|
कैसी लगी कहानी? हमारे आस पास कितनी औरतों को देखा है जिनके कमर या पैर में दर्द रहता है और घर में कोई इस बात को गंभीरता से नहीं लेता, मजाक जरूर बना देते हैं| फिर हम धीरे धीरे दर्द को शरीर का हिस्सा ही समझ लेते हैं, वैसे ही जीने की आदत पड़ जाती है| जब तकलीफ बहुत बढ़ जाती है तब सब कहते हैं किसने कहा था इतना काम करने को! क्या आपके साथ भी ऐसा होता है?
धन्यवाद
©️®️वर्षा अभिषेक जैन
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