आज मधु के घर का गृह प्रवेश था।बड़े अरमानों से मधु ओर उसके पति रवि ने पाई पाई जोड़ कर घर का सपना पूरा किया था।आज मधु भी बहुत खुश थी ।घर की एक एक चीज को खुद पसंद कर रात दिन एक कर घर का कोना कोना सजाया था।
घर तो बहुत खूबसूरत तो था ही,आज के आधुनिक साज सज्जा से पूर्ण।हॉल में बड़ी सी टीवी , डायनिंग टेबल।सुंदर सा सोफ़ा।कांच के सजावट के समान ।सब कुछ चमक रहा था।
मधु ओर रवि के रिश्तेदार भी आए हुए थे।ज्यादा बड़ा कार्यकर्म नहीं किया था।बस कुछ नजदीकी रिश्तेदार को ही बुलाया था,क्युकी घर बनाने में ही इतने रुपए लग जाते है तो दिखावे में फिजूल खर्च करना मधु ओर रवि को सही नहीं लगा वैसे भी सिर्फ रवि ही इकलौता कमाने वाला था।ओर अभी छोटी ननद निशा की शादी करनी थी।
मधु की एक बड़ी ननद थी ममता।वो इसी शहर में रहती थी।उसका एक बेटा मोंटी ओर एक बेटी कुहू।थे।दोनों के दोनों तूफान। इतने शरारती थे कि पूछो मत।लेकिन कोई उनसे कुछ कह नहीं सकता था। मधु की सास के लाडले थे।मधु की सास सरिता जी का कहना था कि बच्चे ननिहाल में बदमाशी नहीं करेगे तो कहां करेगे।इसलिए मधु भी कुछ नहीं बोलती थी।
आज भी बच्चे आए हुए थे।उनकी बदमाशी तो चल ही रही थी।कभी कहीं कूदते कभी कहीं।नया नया सोफ़ा था उनको भी कूदने में मजा आ रहा था।मधु का दिल बहुत पसीज रहा था चाहती थी कि उन्हें कोई तो रोके पर यहां तो मधु की सास उन्हें ओर जोर जोर से कूदने को उकसा रही थी।मधु काम में लगी अपना ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही थी।अपने मन को बहला रही थी बस आज आज की बात है जाने के बाद सब ठीक कर देगी ,घर साफ कर लेगी।
तभी उसने देखा ननद की बेटी कुहू नारियल तेल की भरी बोतल को वॉश बेसिन में गिरा रही है।पूरा हाथ चिकने कर लिए ओर आस पास की दीवारों पर रगड़ दिया।मधु के तो आंखे नम हो गई।नए के नए घर की दीवारें खराब हो गई।
तभी एक आवाज आई खाड़क।सभी का ध्यान उसी तरफ चला गया ।देखा तो मधु के कमरे में लगी पेंटिंग जमीन पर गिरी पड़ी है।ओर किनारे से टूट भी गई।
मधु को अब गुस्सा आ गया।
उसने सरिता जी से कहा,"मम्मी जी ये तो बच्चे है,पर आप लोग इन्हें समझा तो सकते है।"
"बच्चे है ,गलती से हो जाता है।क्या हुआ तो।रोज़ रोज़ थोड़ी ना आते है मेरे नाती।"
"हां मां,भाभी को तो मेरा आना पसन्द ही नहीं ।ये तो बच्चों का बहाना बना कर मुझे सुनाया जा रहा है"।ममता बोल पड़ी।
"पर दीदी मैंने आपको तो कभी कुछ नहीं कहा।हमेशा ही आपकी आव भगत खातिर दारी ही की है।बस मैं तो ये बोल रही हूं कि बच्चों कि गलती पर पर्दा डालने से अच्छा है उन्हें समझाया जाए नहीं तो आगे चल कर आपको भी शर्मिंदा होना पड़ सकता है।"
"जा रही हूं मैं।ममता ने गुस्से में लाल पीले होते हुए कहा।अब ना मै ना मेरे बच्चे आयेगे यहां।"
"बात बिगड़ते देख रवि ने बीच में माहौल संभालते हुए कहा।क्या बच्चो की बात में आप लोग आपस में उलझ रहे है,खुशी का मौका है खुशी मनाईए।एक सोने की चेन ममता को उपहार स्वरूप देते हुए" रवि ने कहा।
"सोने की चैन देख ममता का गुस्सा कुछ शांत हुआ ।मधु ने भी बात वहीं खत्म करना ठीक समझा।"
एक महीना बित गया।आज मधु की छोटी ननद को देखने लड़के वाले आने वाले थे।रिश्ता लगभग पक्का ही था।परिवार जान पहचान का था बस औपचारिकता बाकी थी।आज बात पक्की होने वाली थी।
ममता भी अपने बच्चो ओर पति के साथ आ गई थी।कुछ देर में लड़के वाले भी आ गए।लड़का के पापा ,भाई भाभी ओर मामाजी आए ।
मधु ने सभी की खूब खातिर दारी की।सभी को रिश्ता बहुत पसंद था।
लड़के की मां ने कहा ,हम आज ही छोटा सा नेग कर देते है।सभी ने अपनी अपनी रजा मंदी दिखाई।
मधु ने कहा पहले भोजन ले लीजिए फिर नेग कर लेते है।मूहर्त भी तभी का है।
सब से पहले लड़के के मामा जी पापा भाई ओर लड़के को खाने पर बिठाया।मधु ने तरह तरह के पक्कवान बनाए थे।सब कुछ अच्छा ही चल रहा था कि,लड़के के मामा गुस्से में चिलाए ,"किसके बच्चे है ये,क्या कर दिया इन्होंने".
देखा तो पता चला मोंटी ने रसगुल्ले का रस से भरी कटोरी मामा जी के सिर पर उड़ेल दी ।सारे कपड़े, बाल ,हाथ ,मुंह सब चिप चिप हो गया।
ममता ओर सरिता जी को तो सांप सूंघ गया ,की अब क्या करे।
मधु ने कहा ",आइए बाथरूम में साफ कर लीजिए,पर मामा जी गुस्से में घर से बाहर चले गए।"
लड़के के पिता जी ने कहा ओर कभी नेग कर लेंगे आज के लिए रहने देते है।
सरिता जी ने बहुत जोर दिया माफी भी मांगी पर वो लोग चले गए।
मधु की छोटी ननद भी रोते हुए अपने कमरे में चली गई।
सरिता जी ममता पर बिफर पड़ी तुम कुछ अपने बच्चों को सिखाती समझाती क्यों नहीं हो,देखो क्या किया आज इन्होंने शर्मिंदा कर दिया सब लोगो के सामने।
ममता बोली शर्मिंदा तो मैं भी हूं पर इतने दिन तो आप भी कहते थे बच्चे ननिहाल में ही शैतानी करेगे तो मैं भी यहां आकर निष्फिकर हो जाती थी।इसलिए इन बच्चों की शैतानी ओर भी बड़ गई।लेकिन अब थोड़ा सतर्क रहना पड़ेगा ।भाभी ठीक ही कहती थी।
दीदी बच्चों को टोकना जरूरी होता है,नहीं तो किसी दिन खुद को भी नुकसान पहुंचा सकते है।इनको डांटने या रोकने का मतलब ये नहीं कि हम उनसे प्यार नहीं करते ।उनके भले के लिए ही करते है।
दोनों मां बेटी तो आज बहुत शर्मिंदा थी।मधु ने तो पहले ही चेताया था।की बच्चो को बीच बीच में टोकना जरूरी है उन्हें सही गलत समझाना ही तो बड़ों का काम है।
©️®️ वर्षा अभिषेक जैन
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