लिखिए और खुश रहिए-Share your stories with Paperwiff

जब मैं पहली बार घर से बाहर होस्टल में पढ़ने गयी, तो नये शहर व नये माहौल में, मैं एकदम से अकेली हो गई। ऐसे में मम्मी पापा और घर की याद अलग से परेशान किये जा रही थी ।

Published By Paperwiff

Wed, Oct 15, 2025 10:25 PM

लिखिए और खुश रहिए-Share your stories with Paperwiff

जब मैं पहली बार घर से बाहर होस्टल में पढ़ने गयी, तो नये शहर व नये माहौल में, मैं एकदम से अकेली हो गई। ऐसे में मम्मी पापा और घर की याद अलग से परेशान किये जा रही थी । सबसे पहले मैंने मम्मी पापा को चिट्ठी लिखी। लेकिन साथ ही ये महसूस किया कि चिट्ठी में सब कुछ नहीं लिख सकते, मैं बार बार अपने मम्मी पापा को ये नहीं लिख सकती थी कि यहां मेरा मन नहीं लग रहा क्योंकि इस बात को पढ़कर ही वे उदास हो जाते थे। ऐसे में मेरी सबसे पहली दोस्त बनी मेरी डायरी ।

जब मैंने पहली बार अपने दिल की बात डायरी में लिखी, तो लगा जैसे कोई मुझे सुन रहा  है, चुपचाप बिना राय दिए, मुझे काफ़ी हल्का महसूस हुआ। तबसे हर रोज़ रात को डायरी लिखना मेरा नियम हो गया और धीरे धीरे अपनी ही लिखी अपनी बातों के माध्यम से मैं खुद को बेहतर तरीके से समझने लगी और दूसरों के सामने अपनी बात पहले से बेहतर रखने लगी।

जीवन में कईं मोड़ ऐसे आते हैं जब आप बहुत कुछ कहना चाहते हैं, या तो कोई सुनने वाला ही नहीं होता या आपमें कहने की हिम्मत नहीं होती । ऐसे में लिखना अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम बन सकता है। अपनी  उलझनों को, अपने डरों को, अपनी परेशानियों को जब हम कागज़ के हवाले करते हैं तो सुलझते जाते हैं । हमें जीवन के प्रति एक बेहतर नज़रिया मिलता है।

लेखिका ऐनीफ्रेंक ने अपनी पीड़ा, अपना दर्द और अपना नजरिया अपनी डायरी में लिखा, उनकी डायरी ने ना केवल उन्हें संभाला बल्कि पूरी दुनिया से उन्हें जोड़ा भी, डायरी के माध्यम से ही दुनिया ने उनके बारे में जाना।

लेखिका आना इस निन कहती हैं...

"We write to taste life twice, in the moment and in retrospect."

(जब हम लिखते हैं तो जीवन को दो बार जी लेते हैं – एक बार उस पल में और दूसरी बार उसे याद करके।)

यह मेरा भी अनुभव है जब हम अपनी खुशनुमा यादों को लिखते हैं तो उन्हें दोबारा जी रहे होते हैं। और जब हम अपनी पीड़ा को कागज़ पर उतारने का फैसला लेते हैं, तो ये पहली बार में पीड़ादायक लगता है, क्योंकि दोबारा कलम के साथ हमें उस अंधेरे में जाना होता है, लेकिन यकीन मानिए जैसे जैसे वो पीड़ा कागज़ पर उतरती जाती है मन हल्का होता जाता है।

कुछ मनोवैज्ञानिक इसे थैरेपी की तरह इस्तेमाल करते हैं, वे कहते हैं अपना गुस्सा, अपनी परेशानी, अपनी शिकायतें सबको कागज़ पर लिखो और फिर उस कागज़ को जला दो। ये भी मन को हल्का करने का ही एक उपाय है।

दरअसल जब हम अपना कोई अनुभव लिखते हैं तो लिखते-लिखते ही हमें बहुत कुछ स्पष्ट हो जाता है, अगर ग़लती हमारी खुद की हो तो वो भी सामने आ जाती है। ये ऐसा है जैसा बहुत ज्यादा उमस के बाद बादल जब बरस जाते हैं तो आसमान साफ हो जाता है और मौसम ठंडा व शांत।

कुछ छोटी छोटी लिखनें की आदतें आप भी अपने आपको जरूर लगाइये, जैसे मैने लगाई है..

  • जब मुझे गुस्सा आता है, मैं उसे किसी कागज़ पर लिख देती हूँ। थोड़ी देर बाद वही पढ़ते हुए हँसी आती है और फिर मैं उस कागज़ को फ़ाड़ कर हवा में उडा़ देती हो। उसी के साथ साथ गुस्सा भी उड़ जाता है।
  • कईं बार जब निर्णय लेना कठिन हो जाता है, तो उसके सभी फायदे–नुकसान लिख लेती हूँ। इससे काफी मदद मिल जाती है।
  • Gratitude Journal की आदत एक बहुत अच्छी आदत है इससे हमें पता चलता है कि हम कितने भाग्यशाली हैं। मैं हर रोज़ पांच ऐसी बातें जरूर लिखती हूं जिनके लिए मेरे मन में धन्यवाद का भाव आया हो, कृतज्ञता महसूस हुई हो।

इतना सब पढ़कर आप का मन भी जरूर कुछ न कुछ लिखने का होने लगा होगा, लेकिन अगर आपने आज तक कभी कुछ नहीं लिखा है तो ये सवाल भी आपके मन में आ सकता है कि लिखें कैसे?

आप छोटे छोटे तरीके अपनाकर आज से ही लिखना शुरू कर सकते हैं। जैसे..

बस कलम उठाएं और लिखना शुरू करें, भाषा व्याकरण की चिंता किए बिना, दिन में पाँच मिनट निकालें और लिखें कि आपका दिन कैसा रहा।

आप चिट्ठी लिखकर भी शुरूआत कर सकते हैं, किसी अन्य को नहीं लिखना चाहते तो खुद को ही चिट्ठी लिखें ।

तकनीक पर ज्यादा ध्यान न देते हुए सिर्फ लिखना शुरू करें। रोज़ पांच लोगों या पांच घटनाओं के लिए ईश्वर को धन्यवाद लिखें।

इससे लिखने की आदत तो विकसित होगी ही आपको महसूस होगा आपके पास भी बहुत कुछ गर्व करने लायक है।

मैंने इस ब्लोग की शुरुआत अपनी ही बात से की थी, तो मैं अपना अनुभव भी आपको जरूर बताऊंगी, लिखने से मुझे प्राण वायु मिलती है, आज ये मेरे लिए ऐसा है जैसे सांसो का चलना, जब से मैंने कलम उठाई है तब से डायरी, चिट्ठी, संस्मरण, कविता, कहानी, सब कुछ लिखा, किसको पसंद आया या नहीं आया इस भय से अपने आपको मुक्त रखते हुए लिखा, केवल अपने लिए लिखा और पाया लिखना भी सेल्फ लव का एक माध्यम है।

इसलिए मैं यकीन से कह सकती हूँ— लिखना मन का सबसे गहरा उपचार है।

अगर आप पहले से ही लिखते हैं तो आपने अपनी लेखन यात्रा कब और कैसे शुरू की थी हमारे यानि Paperwiff के साथ जरूर शेयर करें।

और अगर आपने अभी तक कुछ भी नहीं लिखा है तो आज से ही लिखना शुरू करें। आप paperwiff पर अपनी ही भाषा में, आसान शब्दों में अपनी बात लिख सकते हैं।