BinduPrakash
28 Nov, 2020
मजदूर का को-रोना
भाग-1
कितने मजबू्र हो गये हैं ये मजदूर।
ना खाने को रोटी, ना रहने को मकान।।
आंखों में उम्मीदें, दिल में लिए जज्बा।
रास्ते पर निकल पड़े हैं ये मजदूर।
शायद कोई राहगीर मिल जाए राह में।
इसी हौसले से निकल पड़े हैं ये मजदूर ।।
ना खाने को रोटी, ना रहने को मकान।
कितने मजबूर हो गए हैं, ये मजदूर।।
Paperwiff
by binduprakashshrivastava
28 Nov, 2020
Binduprakash
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