टिकुली मैथिली बीहनिकथा

मैथिली बीहनिकथा

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Bhubaneswar Chaurasiya
Bhubaneswar Chaurasiya 25 Oct, 2020 | 1 min read

"टिकुली" बीहनिकथा

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"माॅं‌ जी ईये अहाॅं‌क माथ पर ई ललका 'टिकुली' कतेक सुन्नर लगै य' ।


"माॅं‌ जी अप्पन ममता बरसाबैत 'टिकुली' उतारि कऽ आ बेटीक माथ पर साट देलथिन्ह हैईअ लिअ आब अहौंक माथ सुन्नर बुझायत।


"बेटी हांथ रोइक देलक नै-नै एहन गलती नैन करिहें।

माॅं‌ जी से किय?


"बेटी टिकुली स्त्रीक अहिवात होइत छै जना सिनूर चुड़ी लहठी।


"माॅं‌ जी बाजलथिन्ह ई अहाॅं‌क के बाजलक।

बेटी छोटकी काकी फुलियाक माॅं‌ जी के बजै छथिन तखन सुनलियै।


"माॅं‌ जी अप्पन छाति पीटैत गे माय हम्मर बेटी आब कत सियान भ' गेल एहि छोट सन उमिर में कत बुद्धि जीबैत रहें। 


एत बाजलाक पीछूं सिंगार पेटी सं एकटा 'टिकुली' निकायल कऽ बेटीक माथ पर फेन सं साटै लऽ हाथ बढेलि तऽ बेटी फेन हांथ रोइक देलक। 


"नै-नै एखन नै हम टिकुली तखन साटब जखन बैच जीव जयब आ बिआह सादी हेत तखन कुमार बेटी टिकुली नैन साटे ये।


माॅं‌ जी कऽ कुछ बुझान नै अयल मुदा चिंतित भ' गेलि आब हम अहॉं‌क लेल बाबूजी सं बाजि कऽ जलदिये लड़का ढूढब जे अहौं 'टिकुली' साटब।

बेटी लज्जित होएत घरक झूठ बर्तन उठाइब कऽ अचान दिस चलि गेल।


©भुवनेश्वर चौरसिया "भुनेश"

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