क्या आप जानते हैं? तालिबान के नियम इतने कठोर है कि उनके शासनकाल में 21वीं सदी कलंकित हो जाती है तालिबान के अनुसार वहां की महिलाओं का स्कूल जाना अपराध है यदि कोई लड़की स्कूल जाती पकड़ी जाती है तो उसे गोली से भून दिया जाता है यदि कोई भी व्यक्ति वहां गीत सुनते हुए पकड़ा जाता है तो उसे सरेआम गोलियों से उड़ा दिया जाता है महिला तथा पुरुषों का डांस करना सख्त मना है पिछले वर्षों कुछ महिलाओं का वीडियो वायरल हुआ जिसमें वह एक बंद कमरे में डांस कर रही थी जिन्हें तालिबान ने सरेआम गोलियों से भून डाला पिछले वर्षों दो आदमियों को सरेआम काट डाला गया था तालिबान को शक था कि उनके अवैध शारीरिक संबंध है
तालिबान का उदय 90 के दशक में उत्तरी पाकिस्तान में हुआ जब अफ़ग़ानिस्तान से सोवियत संघ की सेना वापस जा रही थी। पश्तूनों के नेतृत्व में उभरा तालिबान अफ़ग़ानिस्तान में 1994 में सामने आया। माना जाता है कि तालिबान सबसे पहले धार्मिक आयोजनों या मदरसों के जरिए अपनी उपस्थिति दर्ज कराई जिसमें इस्तेमाल होने वाला ज्यादातर पैसा सऊदी अरब से आता था। 80 के दशक के अंत में सोवियत संघ के अफ़ग़ानिस्तान से जाने के बाद वहां कई गुटों में आपसी संघर्ष शुरु हो गया था जिसके बाद तालिबान का जन्म हुआ। उस समय अफ़ग़ानिस्तान की परिस्थिति ऐसी थी कि स्थानीय लोगों ने तालिबान का स्वागत किया।
शुरूआत में तालिबान की लोकप्रियता इसलिए ज्यादा थी क्योंकि उसने बंदुक की नोक पर देश में फैले भ्रष्टाचार और अव्यवस्था पर अंकुश लगाया। तालिबान ने अपने नियंत्रण में आने वाले इलाकों को सुरक्षित बनाया ताकि लोग स्वतंत्र रूप से व्यवसाय कर सकें। दक्षिण-पश्चिम अफ़ग़ानिस्तान से तालिबान ने बहुत तेजी से अपना प्रभाव बढ़ाया। सितंबर 1995 में तालिबान ने ईरान सीमा से लगे अफ़ग़ानिस्तान के हेरात प्रांत पर कब्जा कर लिया। इसके एक साल बाद तालिबान ने बुरहानुद्दीन रब्बानी सरकार को सत्ता से हटाकर अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा कर लिया। 1998 आते-आते अफ़ग़ानिस्तान के लगभग 90 फीसदी इलाकों पर तालिबान का नियंत्रण हो गया था। 90 के दशक से लेकर 2001 तक जब तालिबान अफ़ग़ानिस्तान में सत्ता में था तो केवल तीन देशों ने उसे मान्यता दी थी- पाकिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब
बहरहाल अफगानिस्तान मैं तालिबान का शासन तो नहीं है परंतु वहां की अधिकांश इलाकों में तालिबान का नियंत्रण है अतः स्पष्ट है कि अफगानिस्तान की सरकार अमेरिका की छत्रछाया में सत्ता में है अमेरिका जिस दिन सैनिकों को वापस बुला लेगा उस दिन तालिबान सत्ता में आ जाएगा और अब अमेरिका चाहता है कि हमारी सेना वापस आ जाए वह किसी तरह अपनी इज्जत बचा कर वहां से निकलना चाहता है क्योंकि अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है अब तक अमेरिका धन का एक बहुत बड़ा हिस्सा वहां खर्च कर चुका है
पाठकों से से अनुरोध करुंगा की कमेंट बॉक्स में अवश्य बताएं कि अगर अमेरिका अपने सैनिकों को वापस बुला ले अर्थात अफगानिस्तान में तालिबान का शासन हो जाए तो भारत इस घटना से कैसे प्रभावित होगा
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.