वो मोड़

Sometimes life suddenly the takes U-turn but time was not appropriate to react and we need to show some patience and tolerate everything. This poetry is derived from one shayari I.e मैं बहुत बड़े लोगो की नीचाई से वाक़िफ हूं बहुत मुश्किल है दुनिया में बड़े होकर बड़ा होना।

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Avinash joshi
Avinash joshi 31 May, 2020 | 0 mins read

रोऊ अपने दुखदर्दो पर या अतीत समझ के भूलू सब,

जलू प्रतिशोध की अग्नि मे या शंकर बन विश पिलू सब,


छुपाऊ अब भी ज़माने से या उगल दू अपनी बातें सब,

खड़ा रहूं फ़ौलाद बनकर या आंसू संग बह जाऊ अब,


जिसको माना था अपना बदल चुके है वो भी सब,

किसके आगे धोग लगाऊ बड़ों में कहां बड़प्पन अब,


कौन बड़ा है कौन है छोटा आए एक ही घेरे में सब,

तुला कि डंडी एक तरफ ही किसको बाट से तोलू अब।

अविनाश जोशी

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Avinash joshi

avinashjoshi

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Kumar Sandeep · 4 years ago last edited 4 years ago

    💐💐👌👌

  • Avinash joshi · 4 years ago last edited 4 years ago

    Dhanyavaad 🙏🙏

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