Avinash joshi
Avinash joshi 18 Oct, 2020
तुमसे क्या कहूं
कहने को बातें बहुत हैं तुमसे क्या कहूं ज़माने में बुराई बहुत हैं तुमसे क्या कहूं बाहर से तो बहुत सख्त दिखता हूं मैं सभी को अंदर से कितना टूटा हुआ हूं तुमसे क्या कहूं रोज़ आने जाने वाले तो समझते है जज्बातों को तुम तो अरसे बाद मिले हो तुमसे क्या कहूं गुलाब सी महक तो बढ़ रही है चारों तरफ़ दर्द कांटों की चुभन का तुमसे क्या कहूं

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by avinashjoshi

18 Oct, 2020

This is what our intrinsic and extrinsic

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