3 साल की नन्ही पलक ध्यान से सुन रही थी दादी बता रही थी , " जब ऊपर वाले ने यह सृष्टि बनाई तो उसने अपने पद चिन्ह जैसे नीला आसमान ,फूल ,पेड़- पौधे नाना प्रकार के जीव जंतु ,नदियां ,झील ,झरने ,समुद्र व जंगलों के रूप में हमारे लिए छोड़ दिए हमें एक खूबसूरत दुनिया दी "।
तभी 15 वर्षीय रेखा बोल पड़ी " अब हम मानव अपने पद चिन्ह छोड़ रहे हैं जैसे गंदे नाले, सिकुड़ती नदियां, छटपटाते जीव-जन्तु, सिमटते जंगल ,धुल धूसर आकाश के रूप में।
पलक बोल उठी, " नहीं! नहीं ! दीदी हम यह सब बदल देंगे हम प्रभु के पद चिन्हों को संभालेंगे, संवारेगे और उन्हें सहेज के वापस उसी रूप में पूजेंगे"।
स्वरचित व मौलिक
अवंति श्रीवास्तव
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Nice👌
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