हांफती हुई सुमन जल्दी से मैदान में दाखिल हुई वह आज भी देर से आई थी। नैना दीदी ने उसे घूर कर देखा तो वह जल्दी से लाइन में लग वार्म अप एक्सरसाइज करने लगी।
1 घंटे की ट्रेनिंग के बाद 15 मिनट का ब्रेक मिला तो वह अपनी सहेली शिखा से बोली " पता नहीं ! मां, क्यों सुबह यहां भेज देती हैं , हाय! इतनी मीठी नींद आ रही थी।
न जाने नैना दीदी ने क्या जादू किया है मेरी मां पर?"
" किस के सपने में खोई थी यह तो बताओ? " शिखा ने उसे चिढ़ाते हुए कहा।
" अरे यार एक बहुत ही हैंडसम और डेशिंग लड़का राकेश है ।बहुत दिनों से उसकी फ्रेंड रिक्वेस्ट आई है सोच रही हूं एक्सेप्ट करूं या ना करूं?"
तभी नैना दीदी आ गई " क्यों सुमन आजकल समय पर नहीं आती हो ! तुम्हें पता है ना यह ट्रेनिंग बहुत जरूरी है हर लड़की के लिए।
" जी ..... दीदी..... मैं कोशिश करूंगी कल से समय पर आने की" ।
" मुझे नहीं करना यह कराटे और कमांडो ट्रेनिंग ! दिन भर हाथ पैर दुखते हैं सुबह की इतनी कड़ी मेहनत के बाद!"
सुमन झल्ला के शिखा से बोली।
उसे लगा था कि नैना दीदी चली गई है मगर शायद उसकी यह बात उन्होंने जाते-जाते भी सुन ली और पलट कर वापस उसके पास आई ।
"क्या कहा तुमने.......? तुम्हें यह ट्रेनिंग नहीं करनी......?"
सुमन सर झुकाए नीचे देखती रही और मुंह से कुछ नहीं बोल पाई।
" तुम्हें क्या लगता है सुमन! मुझे बहुत अच्छा लगता है सुबह 5:00 बजे से तुम सब लड़कियों के साथ कड़ी मेहनत करना" ।
" क्या मैं सुकून और आराम की जिंदगी नहीं चाहती........ ?
लेकिन मैंने अपनी जिंदगी को एक मकसद दिया है और अपने जीते जी मैं उसे जरूर पूरा करूंगी ।
आओ चलो तुम्हें बताऊं वो मकसद!"
"मैं चाहती हूं हर गली में, हर शहर में महिषासुर मर्दिनी तैयार हो जैसे मां दुर्गा ने राक्षसों का संहार किया था अपने दम पर
ताकि किसी मर्द की हिम्मत ना पड़े उन्हें बुरी नजर से देखने की!"
"लड़कियां और औरतें किसी के आगे सुरक्षा के लिए गिड़गिड़ाएं ना , अकेले स्वतंत्र रूप से कहीं भी, आजाद घूम फिर सके, कहीं भी ,किसी भी समय, और कैसे भी कपड़ों में......" वो रोष में बोलती गई।
" यह तभी संभव है जब लड़कियों को खुद की सुरक्षा करना आएगा " ।
इसलिए कमांडो ट्रेनिंग और कराटे ट्रेनिंग तूम सब के जरूरी है, अपने शरीर को फौलाद सा बना लो।
" जानती हो यह विचार मुझे कहां से आया? "
" पहले मैं भी समझती थी कि लड़कियों के, आगे बढ़ने का एकमात्र उपाय है शिक्षा।
तुम्हारी जैसी मेरी भी 16 वर्षीय बेटी थी रिचा , पढ़ने में हमेशा अव्वल आती थी।
मेरे पति सेना में कमांडो थे हमारा प्यारा सा परिवार था मगर पति ज्यादातर बाहर रहते थे ।
उस मनहूस दिन, रिचा साइकिल चलाने शाम को निकली तो फिर कभी नहीं लौटी।
दरिंदों ने उसकी ऐसी दशा करी थी कि उसका चेहरा तक पहचान में नहीं आ रहा था।
2 दिन तक तो....... मुझे यकीन नहीं हुआ कि मेरी हंसती मुस्कुराती प्यारी सी बच्ची, जो एक खरोंच भी रो जाती थी! इतना दर्द झेल कर इस दुनिया से कूच कर गई है।" नैना जी ने अपनी आंखों के कोरो को पोछा , सुमन की भी आंखें भर आईं थी।
मगर मैं रोई नहीं मैंने उसी दिन तय किया कि मैं अब हर लड़की को सक्षम बनाऊंगी खुद की सुरक्षा करने के लिए मैंने पूरे 2 साल अपने पति से कमांडो ट्रेनिंग ली और कराटे सीखा।
अब तुम सबको सिखा रही हूं ताकि तुम लोग कहीं भी अकेले जाओ तो अपनी सुरक्षा कर सको।
नैना दीदी मुझे माफ कर दीजिए अब यह सुमन कभी भी लेट नहीं होगी और यह ट्रेनिंग स्कूल हम कभी बंद नहीं होने देंगे।
दोस्तों हर बार जब बलात्कार की घटना घटती है तो दो-तीन दिन शोक मनाया जाता है रोष दिखाया जाता है मगर कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया जाता। अब समय आ गया है कि हम महिलाएं खुद को ही मजबूत करें। अपनी बच्चियों को मजबूत बनाएं, उन्हें सेल्फ डिफेंस सिखाएं।
मेरे विचार आपको पसंद आएंगे
आपकी ब्लॉगर
अवंती श्रीवास्तव
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Well written!!! 🌼🌼🌼
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