नानी का मैजिक

बच्चों को जीवन की सीख देती हुई कहानी

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Avanti Srivastav
Avanti Srivastav 17 Apr, 2022 | 1 min read


एक 5 वर्षीय बच्ची मिनी थी। जिसके मम्मी पापा दोनों मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करते थे व उनके पास हमेशा समय की कमी रहती और समय की कमी को वे, उसके लिए ढेर सारे खिलौने लाकर पूरी करते थे।

उसका पूरा कमरा खिलौनों से भरा था पर उसे देना नहीं आता था ।कोई भी आस पड़ोस का बच्चा अगर उसके घर आता खेलने तो वह अपना खिलौना उसको नहीं देती अगर वो लेना भी चाहे तो तुरंत उनके हाथों से छीन लेती यह कह कर की " यह मेरा है"।

 

 एक बार उसकी नानी कुछ दिनों के लिए उसके यहां रहने आई उन्होंने देखा कमरा भरकर खिलौने हैं फिर भी वह बच्ची ना खिलखिलाती हैं , ना मुस्कुराती है ।

 उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ ...उन्होंने अपनी बेटी से इस बारे में बात करी तो बेटी का जवाब था कि मेरे पास तो समय है नहीं ! यह क्यों उदास रहती है? यह हम समझ नहीं पाते, हम तो मिनी के लिए ढेर सारे खिलौने लाते है, जो बोलती है वह सामान लेकर आते हैं , घर में उसके पसंद का खाना बनता है फिर भी खुश क्यों नहीं रहती .....यह हमें नहीं पता!


तब नानी ने एक दिन नन्ही मिनी को अपने पास बैठाया और उससे कहा " बेटा यह जो तुम्हारे खिलौने हैं उन से मैजिक हो सकता है" ।

" सच में नानी ?"

" हां"

" कैसे? "


" अगर किसी बच्चे को तुम्हारा कोई खिलौना पसंद आए या खेलना चाहे तो तुम उसे अपना वो खिलौना दे दोगी" ।

" क्या इससे मैजिक होगा?" उसने उत्सुकता से पूछा।

" हां बिल्कुल होता है , तुम करके तो देखो " ।


तभी मिनी के पड़ोस में रहने वाली पिंकी बालकनी में दिखी नानी ने सिखाया पिंकी को अपने घर बुलाओ उसके साथ खेलो।

मिनी ने ना चाहते हुए भी उसे बुलाया और अपनी खिलौनों से खेलने दिया ।

 पिंकी " तुम्हारा टेडी बेयर कितना स्वीट है"

 मिनी ने कहा " तुम्हें पसंद है तो ले जाओ" ।

  ऐसा धीरे-धीरे उसने अपने क्लास के बच्चों के साथ भी किया ,पार्क में आने वाले बच्चों के साथ भी जिसको जो पसंद होता वह खिलौना वो उसको दे देती।

  

  महीने भर में खिलौनों से भरा कमरा.... खाली हो गया मगर वह कमरा भर गया था ढेर सारी खिलखिलाहट और मुस्कुराहट से।

   अब उसे खिलौनों की जरूरत ही नहीं थी.?.. मिनी की ढेर सारी सहेलियां बन गई थी जो हर समय उसके साथ खेलती ,खिलखिलाती, मुस्कुराती।

   और अब मिनी को भी नानी का मैजिक समझ में आ गया।

   सीधा सा मैजिक था.....

   

    जब हम खुशियां बांटते हैं तो खुशियां दौड़कर हमारे पास आती हैं और जब हम स्वार्थी होकर सिर्फ अपनी खुशियां ही तलाशते है तो खुशियां हमसे रूठ कर दूर भाग जाती हैं।


  


  स्वरचित व मौलिक

   अवंती श्रीवास्तव

   



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