मॉडर्न जमाना है!
आज का युग मॉडर्न युग और इस युग के मॉडर्न लोग!
मैं लोगों के व्यवहार की विसंगतियों से हैरान हो जाती हूं सोचती हूं ऐसा मॉडर्न होना जरूरी है!
हां अगर वह कुरीतियों को नष्ट करें ,अंधविश्वास से दूर ले जाए , ढोंगियों से बचाए, कर्मठ, प्रगतिशील ,समाज की रचना करें और तर्कसंगत निर्णय लेने में हर व्यक्ति को सक्षम करें तो मॉडर्न होना जरूरी है।
मगर यहां तो माजरा ही कुछ और है, लोगों के हाथ अंगूठियों से भरे पड़े हैं पर लेटेस्ट और महंगा मोबाइल फोन मॉडर्न होने का प्रतीक है।
महिलाएं कोई खास तिथि व पुष्य नक्षत्र पर जमकर खरीददारी करती हैं क्योंकि यह शुभ घड़ी है लेकिन मॉडर्न है क्योंकि लेटेस्ट फैशन की ड्रेसेस खरीदी गई हैं।
आजकल सबसे ज्यादा हैरान उम्रदराज लोगों के बर्ताव से होती हूं आजकल मांजी ,आंटी ,चाची के संबोधन पसंद नहीं करते उन्हें खुद के नाम से पुकारा जाना पसंद है क्योंकि मॉडर्न जमाना है।
कुंडली की बातें और साधु-संतों के द्वारा पूर्वानुमान जिस तरह से दिन-रात टीवी पर आता है तो शक होता है क्या वाकई मॉडर्न जमाना है।
बच्चे का प्रसव तक शुभ तिथि के आधार पर किया जाता है।
यह कैसी मॉडर्न सोच है?
जो सिर्फ संसाधनों के उपयोग पहनावे व बोलचाल तक सीमित है।
लोग टेक्नोलॉजी का प्रयोग अपने अंधविश्वास के लिए कर रहे हैं।
एक मेरी परिचिता है बड़ा संभ्रांत परिवार ,सब सदस्य उच्च शिक्षित व वे स्वयं भी मॉडर्न व स्वतंत्र महिला होने के सारे मापदंड पूरे करती हैं।
एक दिन यूं ही जाना हुआ हम लोग हंस बोल रहे थे कि बोली " माफ करना आज चाय नहीं बना पाऊंगी?"
यूं तो मैं खुद भी चाय की कोई शौकीन नहीं परंतु अनायास ही पूछ बैठी " क्यों?
तो दंग रहे बिना ना रह सकी।
वे महिलाओं के मुश्किल दिनों में किचन के अंदर नहीं जाती वे अपने आप को अपवित्र समझती हैं, बाई से खाना बनवाना उनकी मजबूरी है ,मतलब बाई ज्यादा पवित्र है।
अब ऐसे में शिक्षा का ,आज का आधुनिक ज्ञान धरा का धरा रह गया।
मैंने सवाल उठाए तो जवाब था सास की भावनाओं का भी ख्याल रखना पड़ता है।
सास से देर रात पार्टी की इजाजत है ,कपल किटी और ना जाने कौन-कौन से क्लब में जाने की इजाजत मिल जाती है नहीं मिलती है तो बस इस बात की।
अब ऐसे लोगों को मॉडर्न तो मैं कतई नहीं मान सकती।
मॉडर्न कपड़े पहनना व टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना अच्छी बात है !
यह तो मानव की प्रगति की मिसाल है इसी के साथ सोच और विचार भी मॉडर्न होने चाहिए तभी वह समाज व देश को आगे बढ़ाएंगे और बेहतर बनाएंगे।
स्वरचित व मौलिक
अवंती श्रीवास्तव
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