अरेंज मैरिज यानि की शादी के बाद वाला प्यार जो धीरे-धीरे , नई नई मंजिले पाता चला जाता है और एक वक्त ऐसा आता है जब सिर्फ इशारों से ही पति पत्नी एक दूसरे की बात समझ जाते हैं। शब्द मौन हो जाते हैं फिर भी सहज वार्तालाप चलता रहता है।
आज मैं आपको हमारी पहली मुलाकात के दौर में ले चलती हूं।
तो भई यह उन दिनों की बात है जब हम मस्तराम बन घूमा करते थे ।एक अच्छी नौकरी थी व घर में मम्मी पापा सब कुछ संभालने के लिए।
हमारा एटीट्यूड ऐसा " आराम बड़ी चीज है मुंह ढक कर सोइए ,दुनिया में बड़े गम है किस-किस को रोइए" वाला था ।
दिल की बीमारी अभी हमें नहीं लगी थी व " इश्क ने निकम्मा", " प्यार दीवाना", प्यार कमीना टाइप गानों से खासी चिढ़ थी।
मैं एम.सी.ए कर एक स्कूल में कंप्यूटर टीचर थी अच्छी कट रही थी अपनी।
एक दिन जब स्कूल से घर पहुंची तो मम्मी ने कहा "कल की छुट्टी ले लेना तुम"
मैंने कहा " क्यों "
तो वह बोली " कल कानपुर जाना है ,
तुम्हारे लिए बहुत अच्छा रिश्ता आया है , कानपुर के रहने वाले हैं बस दो देवर हैं, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में काम करता है, लड़का इंदौर में है" ।
एक तो वैसे ही मेरी प्रिंसिपल को छुट्टी की नाम से ही चिढ़ थी, छुट्टी मांगना उनके लिए किडनी मांगने से कम नहीं था।
मैं झुंझला उठी " इन लोगों को वर्किंग डेज में ही लड़की देखनी होती है रविवार को नहीं देख सकते क्या?"
" बेटा तुम्हारे पापा ने बोला था पर शायद कोई और पहले ही इतवार का बोल गया इसलिए......
मैं फिर बिफर पड़ी " तो यह लोग लखनऊ क्यों नहीं आ जाते हमें क्यों बुला रहे हैं कानपुर" ।
मां गुस्सा हो गई " देखो....... अब एक शब्द भी नहीं कल सुबह 7:00 बजे निकलना है तो अभी अपनी शक्ल पर ध्यान दो यह उबटन और फेस पैक लगाओ और चुप रहो"
मन मार कर ऑफिस फोन लगाया खुद को बीमार बता कल की छुट्टी मांगी और फेस पैक पोत कर बैठ गई इन लड़के वालों की तो .........
मगर मन में अभी भी सवाल घूमड़ रहा था " लड़का इंदौर में है तो यह लोग क्यों आ रहे हैं देखने" ? पहले उसे तो बुला लेते पर मां का चढ़ा पारा देख हिम्मत नहीं हुई पूछने की .....
कानपुर के एक होटल में लगभग 1 घंटे का इंतजार करा कर वे लोग पधारे, मां पिता व दो लड़के थे।
मेरे सामने की चेयर पर भावी ससुर व दोनों लड़के बैठे थे मां और भावी सासू मां के बीच मुझे बैठाया गया।
पहला सवाल ससुर जी ने पूछा " तुम्हारी स्कूल की प्रिंसिपल का नाम क्या है "?
" जी प्रेमलता कपूर"
" तुम कैसे आती जाती हो"
" टेंम्पो से "
"अच्छा खाना बना लेती हो"
" थोड़ा बहुत"
तब तक पापा ने पूछा नाश्ता क्या चलेगा पापा मेरी पसंद जानते थे तो बोले नूडल्स मंगा ले क्या?
भावी सासु मां बोल पड़ी" ये नूडल्स कौन खाता है?
कुछ पकौड़े वगैरह मंगा लीजिए"।
जी में तो आया कह दूं " मैं खाती हूं " मगर बगल में मम्मी को देख चुप रह गई पनीर के पकोंड़ों से मेज़ सज गई।
फिर चाय कॉफी की बात हुई तो मैं कॉफी पीने की शौकीन बोल गई कॉफी ले आइए मगर भावी सासु मां ने चाय ही मंगवाई ।
ऐसे ही आइसक्रीम का ऑर्डर हुआ और वेटर चॉकलेट आइसक्रीम उन्हें थमा गया तो वह फिर बोल पड़ी " ये चॉकलेट आइसक्रीम कौन खाता है"? इस बार मैं बोल पड़ी " मैं "।
उन्हें केसर पिस्ता आइसक्रीम दी गई।
बड़े बूढ़े कह गए हैं अगर घर में शांति चाहिए तो बहू और सास की कुंडली मिलनी चाहिए और यहां तो एक भी गुण मिलते नजर नहीं आ रहे थे।
अब भावी ससुर जी ने धीरे से बोलना शुरू किया " मेरा बेटा इंदौर में कार्यरत है तो तुम्हें शादी के बाद इंदौर में रहना होगा और यह नौकरी छोड़नी पड़ेगी, क्या तुम छोड़ सकोगी?"
कुछ कहती इससे पहले ही भावी सासु मां फिर बोल पड़ी " शादी के बाद घर की बहुत सारी जिम्मेदारियां निभानी पड़ती है और इसलिए नौकरी छोड़ना ही ठीक रहेगा"।
अब मुझसे रहा नहीं गया मैंने धीरे से मगर दृढ़ता से कहा " नौकरी तो मैं जरूर करूंगी" ।
तभी सामने बैठा लड़का बोल पड़ा " बिल्कुल आप इन्दौर में अप्लाई कर देना"।
अब मेरी नज़र सामने गई जहां 2 जोड़ी आंखें मुझ पर ही थी।
चम्मच की आइसक्रीम पिघल पिघल कर प्लेट में ऐसे गिर रही थी जैसे मैं पिघली जा रही थी।
तभी भावी ससुर जी बोल पड़े "नवीन बेटा तुम्हें भी कुछ पूछना हो तो पूछ लो आखिर शादी तो तुम्हारी होनी है?
अब मुझे करंट लगा ......बाय गॉड .....अब समझ में आया लड़का इंदौर में है का मतलब कार्यरत है खुद पर गुस्सा आ रहा था मगर उसने ना में सर हिला दिया । मुझसे कहा "तुम्हें कुछ पूछना है ?
मैंने कहा " मैं पूरी तरह वेजिटेरियन हूं और नॉनवेज नहीं पसंद करती इससे कोई दिक्कत तो नहीं?"
" हम भी वेजीटेरियन है" उसने मुस्कुराते हुए कहा।
"जैसा होगा ,फोन करूंगा" भावी ससुर बोले।
उस होटल के एंट्रेंस का गेट ऐसा था जिसके दोनों और ग्लास लगा था व रिवाल्विंग था सब बाहर गए मम्मी ने मुझे रोका तो मैं खुद को ग्लास में निहारने लगी
गुलाबी साड़ी.... मुझ पर बहुत फब रही थी फिर जैसे ही मुड़ी शीशे पर एक अक्स उंगलियां मोड़ें, अंगूठा ऊपर उठाएं ,लाइक का संकेत दे रहा था।
मेरी धड़कनें तेज हो गई।
तो दोस्तों ये थी मेरी पहली मुलाक़ात अपने एजी,ओ जी, सुनो जी से । हां एक और बात शादी के बाद सासु मां से कुंडली भी मिल गई या कहें हमने मिलाने में ही भलाई समझी।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Are wow.. so filmy too good
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