शीर्षक: तुम्हारे घर में एक छोटा सा कोना चाहती हूं
तुम्हारे घर में एक छोटा सा कोना चाहती हूं
हां एक छोटा सा कोना
जहां मैं बिखर सकूं बेपरवाह
पूरे करूं सारे अरमान
अपने सपने मुठ्ठी में भर लूं
जहां हो घड़ी के कांटों में अनबन
उलच लूं कुछ वक्त अपने ऊपर
तरोताजा़ सा महसूस करूं
घड़ी दो घड़ी ख़ुद के लिए जी लूं
हैं सब तुम्हारे घर में
बड़ा दलान , चौड़ा आंगन
खुली बालकनी ,लम्बी छत पर
मैं बस एक छोटा सा कोना चाहती हूं
जिसमें वक्त बेवक्त मैं खुद से मिल लूं
कुछ अपने ज़ख्म, मैं खुद ही सिल लूं
वो छोटा-सा कोना सिर्फ मेरा हो
जहां न कोई पहरा हो
चंद दोस्त मेरे, मैं,डायरी ,पेन व फोन रहे
अपनी बात बस, उन से कह दूं
युं तो तुम, बात पे बात
कह देते हो घर तुम्हारा है
पर मैं जानती हूं कर्त्तव्य सारे मेरे है
अधिकार सिर्फ तुम्हारा है
मुझे भी थोड़ा हक दे दो
मेरे ही घर में मुझे मेरा एक छोटा सा कोना दे दो।
स्वरचित व मौलिक
अवंती श्रीवास्तव
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बहुत सुंदर
Please Login or Create a free account to comment.