कोई भी मां उन खूबसूरत पलों को कभी नहीं भूलती जब वह मां बनती है यानी मातृत्व का सफर
ऐसा ही सफर मैंने भी तय किया एक नादान ,अनजान लड़की का सफर जो मंजिल पर पहुंचती है तो मातृत्व के सुख के साथ ढेर सारी जिम्मेदारी का निर्वाह भी करती हैं।
मेरा यह सफर शादी के बाद थोड़ा जल्दी ही शुरू हो गया सिर्फ 3 महीने बाद ही।
जिसे मेरे पति मौसम की गड़बड़ी समझ कर टाल रहे थे वह असल में हमारे रोमांस में गड़बड़ी मचाने के लिए स्थाई तौर पर आ रहा था।
जैसे ही डॉक्टर ने कंफर्म किया प्रेगनेंसी को, मेरे पति का चेहरा देखने लायक था। उससे ज्यादा बुरी बात यह थी कि मेरा ब्लड ग्रुप एबी नेगेटिव था व पति का पॉजिटिव तो गर्भपात होने का अंदेशा ज्यादा था । डॉक्टर ने हमें बहुत एहतियात बरतने को कहा साथ ही यह भी बोला, ' बेटा एबी नेगेटिव ब्लड आसानी से नहीं मिलता इसलिए खून की कमी बिल्कुल नहीं होनी चाहिए'।
अब तक जो मैं पति की हालत पर मुस्कुरा रही थी अब अंदर ही अंदर घबरा गई 9 महीने पहाड़ से प्रतीत होने लगे उल्टी ,जी मिचलाना, खाना अच्छा न लगना सब शुरू हो गया था ऐसे में अकेले रहना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था । परेशानी में मां ही सबसे ज्यादा याद आती है मैं भी अपनी मां को बुलाना चाहती थी मगर मेरे मैयके में मेरे भाई की शादी तय हो रही थी तो मां आने में असमर्थ थी इसलिए सासू मां को बुला लिया।
इस जिंदगी से मैंने जो सीखा है तो वह यह की ,सासु मां ,बड़ी मां, छोटी मां, सौतेली मां, सब संबोधन हो सकते हैं लेकिन मां सिर्फ मां होती है ।
जिस भी स्त्री में ममता है ,प्यार है ,परवाह है ,वह मां है शायद इसीलिए हमारे आख्यानों में धरती और नदी को मां कहा गया है क्योंकि यह नैसर्गिक गुण इन में भी दिखाई देते हैं।
तो बस सासु मां बन गई मेरे मातृत्व के सफर की वह हमराही जिन्होंने अभी तक मुझे थाम रखा है।
खून की कमी पूरी करने के लिए दाल ,सब्जी ,रोटी सब में मुझे हरी मिलती यानी धनिया ,पालक ,मेथी इनमें कैसे ना कैसे करके मिला दी जाती। अनार का रस व दूध का टाइम फिक्स हो गया। सुबह पतिदेव तो शाम को सासू मां मुझे टहलाने ले जाती।
फिर वह दिन भी आया जब नन्ही सी परी मेरी बाहों में आई।डिलीवरी के बाद रूम में मैं दो कंबल में भी कांप रही थी, पांव ठंडे पड़ रहे थे कि मां ने तुरंत तेल गर्म करवाकर पैरों की मालिश शुरू कर दी, मैं अचकचा गई ' नहीं मां ! आप मेरे पांव नहीं छुएगीं ' ।
' अरे ! तो क्या हुआ बेटा पहले तुम्हारी सेहत जरूरी है'।वे पूरी रात मेरे बगल में बैठी मेरे पांव की मालिश करती रही।
तो यह लेख मेरी सासू मां को समर्पित जिन्होंने मां के क्या गुण होते हैं मुझे थ्योरी से नहीं बल्कि प्रैक्टिकली करके समझाया।
मां आप हमारी ताकत है और हमें आप पर गर्व है आज भी आप दादी मां के रूप में बच्चों पर अपनी ममता लुटाती रहती हैं।
स्वरचित व मौलिक
अवंति श्रीवास्तव
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.