निशा ने जैसे ही घर के अंदर कदम रखा बैठक से बुआ जी की आवाज सुनाई दी ।
"ओहो ! बुआ का तो रोज का ही हो गया है अपने घर में मन नहीं लगता तो यहां चली आती है?"
मन ही मन बड़बड़ाई जानती थी अब उसे ढेरों नसीहतें दी जाएंगी।
तभी बुआ उसे देखते ही बोल पड़ी " अरे ! क्या गजब कर रही है लड़की, स्कूटी में वह भी बिना मुंह पर कपड़ा बांधे चली आ रही है, कम से कम समरकोट तो डाला कर हाथ काले हो जाएंगे। चेहरा देख ......कैसा काला पड़ा जा रहा है"।
" भाभी इसको बेसन, चिरौंजी और हल्दी का उबटन लगाने के लिए कहा करो" , रंग दबता जा रहा है। शादी ब्याह कैसे होगा।"
इन बातों अब चिढ़ सी होने लगी थी निशा को , खानदान में उसी का रंग सबसे दबा था। मां ,पिताजी झक, उजले सफेद बुआ भी गोरी चिट्टी, न जाने कहां से यह काला रंग उसको मिल गया था।
गाहे-बगाहे उसको सब चिढ़ाते काली ,कलूटी बैंगन लुटी मगर वह अनसुना कर देती ।
"नसीहतें मिलती रहती , उबटन लगाया कर रंग साफ हो जाएगा।"
वह सब कुछ एक कान से सुन दूसरे से निकाल अपनी मस्ती में रहती , किताबों की दुनिया में!
यूं तो बुआ से वो बहस कभी नहीं करती ।हां ...हां, करके आगे बढ़ लेते हैं मगर आज कुछ ज्यादा ही गुस्सा आ गया और सोचा कि आज तो बुआ से 2- 4 कर ही ले।
तो बोल पड़ी बुआ , " उबटन मुझे अपने चेहरे पर लगाने की जरूरत नहीं है, मैं तो अपनी मेहनत से अपनी किस्मत को इतना उजला, कर दूंगी कि यह चमड़ी का रंग कोई देखेगा भी नहीं।
मैं पढ़ लिखकर आई.ए.एस ऑफिसर बनुंगी और तब लोग मेरे रंग कि नहीं मेरी गुणों की कद्र करेंगे।
" अब आप ना यह 1818 सदी की बातें ना 21वीं सदी में करना बंद करो " ।
" ना री मेरी लाडो मैं 21वीं सदी की बातें ही कर रही हूं क्या तुम नहीं देखती हमारे हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में कितनी सांवली लड़कियां हैं उंगलियों में गिन सकती हो तुम , भले ही वह कितनी भी अभिनय में पारंगत हो, उनका रंग ही उन्हें अच्छे किरदार दिलाता है।
विदेशी मूल की लड़कियां इसीलिए हमारे देश में ज्यादा सफल हैं क्योंकि वह गोरी चिट्टी होती है।"
"यहां तक कि साउथ फिल्म इंडस्ट्री में जहां पर मूल्यत: लोग सांवले ही होते हैं वहां भी यही गोरी लड़कियों का वर्चस्व है चाहे वह तापसी पन्नू हो , तमन्ना भाटिया हो पूजा हो या हंसिका मोटवानी।"
" क्यों वे सफल है? क्योंकि वे गोरी है, हर दूसरे गाने में तुम्हें बैकग्राउंड डांसर तक गोरी विदेशी लड़कियां ही मिल जाएंगी।"
" शादी का कोई भी कॉलम उठाकर देख लो कान्वेंट एजुकेटेड फेयर एंड ब्यूटीफुल गर्ल
यही पंक्तियां सबसे पहले मिलेंगी।"
भले ही हमने क्रीम का नाम " फेयर एड लवली" से बदलकर " ग्ल़ो एंड लवली" कर दिया हो हमने अपनी मानसिकता बिल्कुल भी नहीं बदली।
अभी भी हर जगह सफल वही है जो खूबसूरत है सुंदर है और गोरा है।
अब निशा वाकई सोच पर पड़ गई थी बुआ ने उसे सच्चाई का आईना दिखा दिया था मगर फिर भी हार कैसे माने?
" उसने कहा ठीक है अगर कोई मुझे नहीं अपनाता तो कोई बात नहीं मुझे खुद से प्यार है और मैं खुद से प्यार करूंगी और जब तक कोई ऐसा ना मिले जो मुझे मुझसे ज्यादा प्यार करे तब तक मैं अपने रंग और अपने गुणों के साथ अपनी दुनिया में खुश हूं।"
ऐसी समझौते की शादी मुझे नहीं करनी।
सच है दोस्तों हम जैसे हैं अगर हम वैसे ही खुद को अपना लेंगे और उसी में गर्व महसूस करेंगे तो कोई इस दुनिया में नहीं है तो आपको नीचा या छोटा महसूस करा सके। सुंदर होना सिर्फ और सिर्फ आत्मविश्वास की बात है।
स्वरचित और मौलिक
अवंती श्रीवास्तव
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
अच्छा लिखा 👍
बहुत बढ़िया👌
Badhiya
Thank you so much everyone ❤️❤️
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