अचानक नींद खुली,... लगा जैसे प्यास से गला सूखा जा रहा है। निशा , धीरे से उठी बगल में सोते प्रतिक को बड़े प्यार से निहारा और बढ़ चली गैलरी की तरफ ,गैलरी से गुजरती हुई किचन में पहुंच, फ्रिज से बोतल निकाल गटागट पानी पीने लगी, सहसा लगा जैसे बगल के कमरे से खिलखिलाने की आवाज आ रही है, नया घर, नई जगह शायद रूही , उसकी ७ साल की बेटी को ...हो सकता है नींद नहीं आ रही हो. क्योंकी कल ही तो शिफ्ट हुए है.....सोच उसके कमरे में कौतूहल वश झांका तो दंग रह गई ......रूही विचित्र से हावभाव में बेसाख्ता हंसे जा रही थी।
क्या बात है? रूही किससे बातें करके हंस रही हो!
मगर रूही तो जैसे सुन ही नहीं रही थी ..... निशा ने उसका हाथ पकड़ हिलाया .....तो हाथ एक दम बर्फ जैसे ठंडे थे
अचानक उसने निशा की तरफ देखा और उसकी आंखें टेड़ी हो गई निशा चीख पड़ी रूही........
अब रूही के आंखों से खून बह रहा था ..... रूही ने एक जोर का ठहाका लगाया और कस के निशा का हाथ पकड़ लिया हा .....हा ...हा ....हा अब मैं तुम्हें कहीं नहीं जाने दूंगा हा.... हा ....हा
तभी प्रतीक बगल के कमरे से भाग कर आया क्या हुआ..... क्या हुआ? निशा.... तुम क्यों चिल्लाई थी?
निशा हाथ छुड़ाने की बहुत कोशिश करती हुई .... प्रतीक को देखकर " देखो प्रतिक.... देखो ....रूही को क्या हो गया है ?
" यह लड़कों की तरह बोल रही है इसकी आंखें..... देखो प्रतिक...
प्रतीक , प्रतीक के भी माथे से पसीना बह निकला , हाथ कांपने लगे अपनी बेटी को इस हाल में देख वह भी बुरी तरह से डर गया ....
उसे ध्यान आया कि बचपन में मां लाल मिर्च ,तिल और नमक, गर्म करके उसका धुआं करती थी और हनुमान चालीसा का पाठ करती थी ऐसी हालत में.....
भाग कर किचन से लाल मिर्च का धुआं ,व लोबान जलाया मगर रूही किसी भी हाल में निशा को छोड़ने को तैयार नहीं थी उसकी पकड़ और तेज हो गई थी ....आंखों से खून बह रहा था..... नहीं छोडूंगा तुझे .....मार डालूंगा तुझे....
फिर धीरे-धीरे हनुमान चालीसा ने अपना असर दिखाया उसकी पकड़ ढीली हुई और बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ी।
पूरी रात निशा और प्रतीक रूही के पास बैठे रहे हैं।
सुबह जब निशा नीचे उतरी, वॉचमैन के पास पहुंची ,वॉचमैन ने कहा " अरे मेमसाहब आप लोग नए आए हो"?
निशा ने कहा " हां "
" कौन से फ्लैट नंबर में मेमसाब"
" फ्लैट नंबर 13"
" क्या आपने इसकी जानकारी नहीं निकाली"?
"क्यों क्या बात है"!
"यहां पर रोहित नाम के एक लड़के जो कि 7 साल का था मर्डर हुआ था ....तब से कहते हैं उसकी रूह इस फ्लैट में घूमती है"।
"यहां पर नहीं रहने का मेमसाब"!
निशा ,प्रतीक ने तुरंत ही फ्लैट खाली कर दिया।
सारा सामान ट्रक में लाद दिया और निशा और प्रतीक अपनी कार में बैठ गए मगर रूही देर से आई।
" अरे रूही ! तुम कहां रुक गई थी??
"कुछ नहीं मां मेरा यह टॉय छूट गया था"रूही के हाथ में एक डॉल थी।
" अच्छा जल्दी से बैठो और चलो यहां से...."
कार ने रफ्तार पकड़ी और निशा ठंडी हवा को महसूस करने लगी कि तभी धीरे से उसके कान में आवाज आई इन्हीं लगता है इन्होंने हमें अलग कर दिया...... नासमझ कहीं के......हा हा हा.......
स्वरचित और मौलिक
अवंती श्रीवास्तव
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